Book Title: Digambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 20
________________ १८] दिगम्बर जैन । [ वर्ष १० प्रिय अवश्य हो जाओगे । ईश्वर एक है पर छोड़कर प्रेमपूर्वक एक दुसरेको अपनाएं, उनकी जैनधर्म, इसके विपरीत, उपदेश देता है कि वृद्धि में प्रसन्न और दुःख में दुःखी हों तो यह संसार यदि तुम कष्ट उठानेको तत्पर हो, विघ्नबा- स्वर्ग हो जाय । जैन धर्म भी इसी बातका उपधाओंको सहने के लिए उद्यत हो, ज्ञानावरणी, देश देता है । अंतमें हम अपने सब भाइयोंसे दर्शनावरणो, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, प्रार्थना करेंगे कि वे जैन शास्त्रोंका अध्ययन करें गोत्र और अन्तराय इन आठों कर्मों को नष्ट जिससे इस धर्मकी बखूबियोंको वे समझ सकें कर सको तो उसी पदको प्राप्त कर सकोगे। और स्व तथा पर कल्याण भी कर सकें । इति । और बात भी ठीक है, व्यवहारमें भी ऐसा ही होता है। यदि दो विद्यार्थी एक ही नम्बर उपालम्भ। प्राप्त करें तो दोनोंको एकप्ता ही स्थान मिकता (१) है, तो दो पुरुष यदि एक ही गुणोंको प्राप्त पाप पङ्कमें फंसे हुएको । कर सकें तो उन्हें एक ही स्थान क्यों न मिले। घुसा न देते नहीं हो निकालने ॥ जैनधर्म मुख्यतः शांतिरसका उपदेश देता तड़फा रहे हृदय-मीनको सदा, नहै। इसकी क्रियाके अनुसार आचरण करनेसे कृपा-वारि देते, निष्प्राण करते ॥ ( २ ) सुख और शांति मिल सकती है । यूरोपवालोंने न आदेश कुछ भी उस पंकको ही। 'राष्ट्रमंघ' (League & Nations) स्थापित -देते, व उसको कुछ बुद्धि ही है। कर संसार में शांति देने की घोषणा कर दी है। ___ इससे न उसको कुछ द्रव्य ही मिला । इसका मुख्य उद्देश्य छोटे २ राष्ट्रोंकी सत्ता और मिलती न समता व कुछ ऋद्धि ही है। अधिकारों की रक्षा करना है पर उप्त संघने क्या कर दिखाया यह हमारी समझमें नहीं आता। झगड़ा हमारा प्रभो । देखते हो। 'वार फीवर' (युद्धकी आशंका) बढता ही जाता हमको सिखाते, मुखाते उसे या ॥ है । यदि शिक्षा विभाग स्वास्थ्य और २ भी हंसते, हमें देख, करुणा न करते ।। भावश्यकीय चीनों पर १ रूपया खर्च हो तो व करते न क्यों पार सुधार ही या॥ युद्धी सामग्री, सेनादि रखने के लिए तीन -न्द्रान्त। . रुपया खर्चा होता है । क्या इस तरहसे कभी 40 me peox@KRONARAS शांति स्थापित हो सकती है ? A guilt & पूजन के लिये खातरीलायकmind is always sushious' अंग्रेनीमें पवित्र काश्मीरी केशरकहावत प्रसिद्ध है। अर्थात् दोषोको सर्वदा मगाईये। मूल्य ३) की तोला। आशंका बनी रहती है। . . * पमना-द जन पुस्तकालय-सूरत यदि आन हमारे भाई पारस्परिक वैमनस्य 8 % R Korporror

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