Book Title: Digambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 42
________________ "Digamber Jain" Rend. NO. B.744. SEEEEEEEEEEEEEEEEझडझडक एतिहसिक व तुलनात्मक दृष्टि से आ रचित शैलीपर रचा हुआ बिलकुल नवीन 13 भगवान् महावार अथवा संक्षिप्त जैन इतिहास लेखक-बाबू कामताप्रसाद जैन, स० संपादक "वीर" संशोधक-ब्र० शीतलप्रस दजी व बरिस्टर चंपतरायजी। तुर्त ही मगाईये। उत्तम छपाई सफाई, पुष्ट कागज, मनोहर जिल्द पृ० 300 व मूल्य ) पौने दो रुपये मात्र / मैनेजर, दिगम्बर जैन पुस्तकालय-सूरत / ESSASSSSSSSESER aao पूज्य ब्र सीतलप्रसादजी कृत बिलकुल नये ग्रन्थ / तत्त्वमाला अथवा चौवीस जिन पंचकल्याणक पाठ-पाषा पूना-२४ तीर्थकरों के समी कल्याणकों की जिनेंद्रमतदर्पण दूसरा भाग ल।२ 121 पूनाओं का संग्रह // 1 तीसरीवार छपकर अभी ही तैयार होगया। तत्या थे मुत्रजी टीकाजैनधर्मका मुलभतासे सामान्य ज्ञान होने के लिये मृद व सदासुख नीकृत मषा / ) यह ग्रन्थ अवश्य 2 मगाइये व विशेष मंगाकर अग्रवाल इतिहासबांटिये। ट 100 व मूल्य छह आने वा० बिहार लाल बुलंदशहर का ) 21) सैंकड़ा। * महात्मा गांधी और आर्यसमाज // मैंने नर दि० जैन पुस्तकालय-सूरत। हरिबंशपुराण चिकने कागन खुले पृ.८०.८) उदयपुर में-ब्र पं० कन्हैयालाल नीने चातु- पद्मपुराण (जैन रामायण) नाटक 2) मांस किया है इससे अच्छी धर्मप्रभावना हो पंचमरु व नंदीश्वर पूजन विधान(बड़ा रही है व अनेक प्रकार के व्रत विधान हो रहे शील महिमा नाटक हैं व इन्द्रध्वज मंडल विधान भी हो रहा है। पना:-दिगम्बर जैन पुस्तकालय-सुरत। नविजय प्रिन्टिग प्रेस खपाटिया चकला-सुरतमें मूलचंद किरानदास कापड़ियाने मुद्रित किया और "दिगम्बर जैन आफिस, चंदावाड़ी-सुरतसे उन्होंने ही प्रकट किया।।

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