Book Title: Digambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 11
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 14
________________ दिगम्बर जैन । ११] रीतिसे मुंडन तीव्र बुद्धि विद्यार्थी नो गुरुकुलकी धोती डुपडा पहिनकर चोटी रखकर कराकर सादगी से रह सकें । सो तुम जानते हो, गुजरात फेशनपसन्द देश है । यद्यपि महात्मा गांधी की आंधी वहां बहुत चली परन्तु हमारी जैन समाज पर उसका बहुत ही कम प्रभाव पड़ा क्योंकि इनको चाहिये बढिया मेनचेष्टरकी घोतियां, साढियां आदि क्योंकि खादी से इनका शरीर छिलता है । चर्खा चलानेमें हाथ दुखते हैं, सेठाई जाती है इस लिये हमको कुछ चिंता नहीं। हम तो पर्यूषण में गुजरात ही में जावेंगे, और ऐसा प्रयत्न करेंगे कि जिससे या तो वह गुरुकुल गर्भ से बाहर ही न आबे और यदि जन्म ले भी ले तो भी बाल्य या वृद्धावस्था के निर्बल माता पिताकी संतान के समान निर्बक और अल्प वयस्क रहे । नहीं मालुम ये लोग (सुधारक) क्यों हमारी अभीविका शत्रु बन रहे हैं ? सोचो तो कि जब ये लोग पढ नावेंगे तो हमारी पूछतांछ कहां रहेगी ? अभी तो हम लोग अंधों में कानेक समान राजा हैं, प्रभू हमारी रक्षा करो, जैसे बने ऐसे इस प्रतिमें संस्कृत व उच्च कोटिका तत्वज्ञान चारों अनुयोंगो का वास्तविक मर्म ज्ञान न फैलने पावे इसी में हमारा भला है । नौ० - तो महाराज शीघ्र चलकर उपाय करो नहीं तो फिर कुछ हाथ न आवेगा, क्यों कि सुना है गुजराती बातके पक्के होते हैं । [ वर्षे १७ है ये तो वसंत ऋतुके वादल केवल गर्जनेवालें न कि वरसनेवाले हैं । तो भी उपाय करना ही चाहिये । अच्छा चलो आज ही । नौ ० - जी चलिये ( दोनों जाते हैं ) पं० - सो तो कुछ बात नहीं है। बड़े बूढ़े सब हमारे कब्जे में हैं और द्रव्य देनेवाले भी वे ही हैं । और अभी कोई धौव्य द्रव्य तो हुवा नहीं I नोट- उपर्युक्त स्वार्थी पंडित व उनके नौकरकी बातचीत परसे हमारे गुजरातके भाइयोंको चाहिये कि वे अपने आदर्श पर दृढ़ होकर कार्य करें और गुरुकुल जिसमें कमसे कम ९० बालक लाभ लेकर उच्च कोटिका धर्मशास्त्र, न्याय, व्याकरण और साहित्यके प्रौढ विद्वान तैयार होते रहें, ऐसा प्रयत्न करना चाहिये | गुजराती भाइयों को ऐसे कार्य के लिये लाख पौनलाख रुपया एकत्र करलेना वायें हाथका खेल है, क्योंकि वहांके भाई सरल स्वभावी तथा श्रद्धानी व भक्त हैं । आशा है समस्त गुजरात उक्त गुरुकुलके प्रस्तावको अपनाकर इस पर्युषण पर्व में उसे चिरस्थायी रूपेण शीघ्र खोलने के लिये शक्तिको न छिपाकर द्रव्य प्रदान करेगा और शीघ्र खुलवाकर गुजरात परसे अज्ञानका लांछन दूर करेगा । पावागढ स्थान बहुत उत्तम है - गुरुकुल योग्य है । दीपचंद वर्णी । शु• • * * * * पूजन के लिये खातरीलायक - पवित्र काश्मीरी केशरमगाईये । मूल्य ३) फी तोला । पॅनेजर- दि० जैन पुस्तकालय - सुर 401 4X

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