Book Title: Dhatu Sangraha
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Page 128
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धातुसंग्रह. नये. भवः (१४-म, 2 शिव, 3 संसा२), प्रभवः (पति), 1 पराभवः, 2 अभिभवः (52 / 045), अनुभवः (तान), विभवः (धन), परिभवः (ति२४२), उद्भवः (म), संभवः, भावः (1 छत, 2 वनाव, 3 मनिप्राय, ४४च्छिा, 5 पाथ). भव्यः (संसारी न२), भूतः = हूतो = मो. भूतम् = हूतं = हूj. भूतिः (१७त्पत्ति, 2 संपत्ति, 3 स्म), विभूतिः (१४वरता, 2 १३म), भूतः (1 अ, 2 मतात, 3 पन्न), अनुभूतिः (भनुम१), 1 भूः, 2 भूमिः (पृथ्वी), भूरि (59), शंभुः (शिव), स्वयंभूः (ब्रह्मदेव), विभुः (या५४), प्रभुः (समर्थ), अद्भुतम् (विरमय), भुवनम् (4), भव नम् (32), भावी (इन् + यशेते), भवन् (यतो), प्रभावः (प्रता५). भू, आ. 10. प्राप्ती. पाम. भावयते, भवते, भवति पामेछ. भावः (पदार्थ). भू, उ. 10. अवकल्कने चिंतने च. अवकल्कनं मिश्रीकरणम्. 1 ४२भोपयु, 2 चिंतपy. भावयति - ते सर्पिषा सक्तून. मिश्रयतीत्यर्थ : धाको सावाने ४२भोक्छे भावना (वासना. 152), भावितम् (वासित, पधारे). भूए, (अ) प. 1. अलंकरणे. शोलाव, पाचवू, असंत 42. भूषति शोभावछ. 1 भूषा, 2 भूषणभ, 3 विभूषणम्, 4 आभूषणम् (1294), 1 भूषितः, 2 विभूषितः, 3 आभूषितः ( गारेस). भूष, (अ) उ. 10. अलंकरणे. शोला. भूषयति - ते कन्याम् न्याने शोभावे. भूषा (4642). भृ, (ब) उ. 1. भरणे. 1 धारण ४२गुं, 2 पोषण 42, पाम, 12. भर ति-ते पा२९५ अरेछ. भरति = भरइ = नरे. भर्ता (ऋ + पति), तीर्थभर्त्ता (a + तीर्थ४२), भतः, भारः (तोर), भरः, भारः= मारो. भृत्यः (4142), भार्यः-पारियो (क्षत्रिय विशेष), भरणम्, 1 कुक्षिभरिः, 2 आत्मभरिः, 3 उदरंभारः (पेटुआ), विश्वंभरः (वि.), विश्वंभरा (2वी), मालभारी, उत्पलमालभारी (मसभाला धरना२), भरतः (1 नट, 2 मे , अव. भृथः (pain), भृशम् (मतिय); भरु: (1121, 2 समुद्र), भालुः (8) बभ्रुः (नोगा), भरटः (1 नाप, 2 12). भ, (, ञ) उ. 3. धारणपोषणयो.. 1 थार५ 42, 2 पोषण 42, पोम. बिभर्ति मालाम् भासाने धा२५ 22. भारः, भृत्यः (या४२), भार्यः= मायाँ For Private And Personal Use Only

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