Book Title: Dhatu Sangraha
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 159 धातुसंग्रह. लोच, (ऋ) आ. 1. दर्शने , मलोचते गुवछे. 1 लोचनम, 2 विलो चनम् (1 नेत्र, २६शन). आलोचनम्, पर्यालोनम्, लोचकम् (खाना भायार्नु वख, मायलो. लोच, (3) उ. 10. भाषार्थे भासाथै च. मोस, 2 सीपयु. लोचयति-ते, आलोचयति-ते सोलछे इ०. लोट, प. 11. धोत्] पूर्वभावे स्वमे दिप्ती च. पूर्वभावः पूर्वत्वम्. 5 धुतj, 2 पूर्व ___5. पूर्वत। 425ii, 3 64j, 4 5j. लोटपति पुनेछ इ०. लोड, (3) प. 1. उन्मादे. उन्मादश्चित्तविभ्रमः. वित्त मधु, oliguj. लोडति कितनछे. लोष्ट, (अ) आ. 1. संघाते. मे थां, मे 42. लोष्टते धान्यम् धान्य मे९४२२. 1 लोष्टः, 2 लोष्टुः (हे!). वक, (इ) आ. 1. गतो. 4. वंकते यछ. वंकः. वक, (इ) आ. 1. कौटिल्ये. वाई यई-४२. वंकते वारेछ. वंक:= पाई. वंक काष्ठम् = पाई 416. वक्रम् (पांडु), वक्रिः (पासा मुंहा). वक्ष, (अ) प. 1. रोषे संघाते च. 1 रीस ४२वी, रीसाधू, 2 भेता ४२वी, मे 42. वक्षति बाल: पाल सायचे. वक्षः (14). वख, (अ) प. 1. गत्यर्थः. 4. बखति जयचे. वख, (इ) प. 1. गत्यर्थः. 4. वंखति तय. वग, (इ) प. 1. गत्यर्थे खंजे च. 1 rपुं, 2 मो . वंगति यछे इ०. __ वंगम् = 4 (सीमुं). वघ, (इ) आ. 1. गत्याक्षेपे. गतेराक्षेपो निंदा वेग आरंभ उपभोवा. 1 शति નિંદવી, ર ગતિને વેગ કરવો, 3 ગતિને આરંભ કર, 4 ગતિ કરવી. वंधते गतिनिने इ०. वच्, (अ). प. 2. परिभाषणे. 1 मोय. वक्ति मोतछे. वक्ता (*), वच नम, वाक्, वाचा, वाच्यम्, वाक्यम्, अनूचानः (सांगायनवान्), वाचकः (मासना२). वच्, (अ) उ. 10. परिभाषणे संदेशने च. 1 मोस, 2 सहसा हेवो. वाचति - ते, वचति मानछे इ०. वाचनम्. For Private And Personal Use Only

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