Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 4
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou
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७८८ - ८२० (उ० ई० ).
७९० -- ८५० ( ई० उ० )
८२५ - ९०० ( ई० उ० )
७८० - ८७० ( ई० उ० ) ९०० -- ११०० ( ई० उ० )
१०५० - ११५० ( ई० उ० )
११०० - ११३० ( ई० उ० ) १००५ - १०५० ( ई० उ० ) १०८० - ११०० ( ई० उ० ) १०८० - ११०० ( ई० उ० ) ११०० - ११३० ( ई० उ० )
११०० -- ११५० ( ई० उ० ) ११०० - ११५० ( ई० उ० )
११०० - ११३० ( ई० उ० )
१११४ – ११८३ (ई० उ० )
११२७ -- ११३८ ( ई० उ० ) ११५० - ११६० ( ई० उ० )
११५० - ११८० ( ई० उ० )
११५० - १२०० ( ई० उ० )
११५० - १३०० ( ई० उ० ) ११५० - - १३०० ( ई० उ० )
११५८ - ११८३ ( ई० उ० )
११७५ - १२०० ( ई० उ० )
१२०० - १२२५ ( ई० उ० ) १२६० - १२७० ( ई० उ० )
१२०० - १३०० ( ई० उ० ) १२७५ - १३१० ( ई० उ० )
१३०० - १३७० ( ई० उ० )
१३००-- १३८६ ( ई० उ० ) १३०० -- १३८६ ( ई० उ० )
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१४ -
: महान् अद्वैतवादी दार्शनिक शंकराचार्य ।
: याज्ञवल्क्यस्मृति के टीकाकार विश्वरूप ( सुरेश्वराचार्य ) । : मनुस्मृति के टीकाकार मेधातिथि ।
: वराहमिहिर कृत बृहज्जातक के टीकाकार उत्पल ।
: पार्थसारथि मिश्र, शास्त्रदीपिका, तन्त्ररत्न, न्यायरत्न के लेखक ।
: भवनाथ या भवदेव, न्यायविवेक के लेखक ।
: लक्ष्मीधर, कृत्यकल्पतरु ( कल्पतरु ) निबन्धकार |
: बहुत से ग्रन्थों के लेखक धारेश्वर भोज ।
: याज्ञवल्क्यस्मृति- टीका मिताक्षरा के लेखक विज्ञानेश्वर ।
: मनुस्मृति के टीकाकार गोविन्दराज |
: कल्पतरु या कृत्यकल्पतरु नामक विशाल धर्मशास्त्र विषयक निबन्ध के लेखक लक्ष्मीधर ।
: दायभाग, कालविवेक एवं व्यवहारमातृका के लेखक जीमूतवाहन । : प्रायश्चित्तप्रकरण एवं अन्य ग्रन्थों के रचयिता भवदेव भट्ट ।
: अपरार्क, शिलाहारराजा ने याज्ञवल्क्यस्मृति पर एक टीका लिखी ।
: भास्कराचार्य, जो सिद्धान्तशिरोमणि के, जिसका लीलावती एक अंश है, प्रणेता हैं ।
: सोमेश्वर देव का मानसोल्लास या अभिलषितार्थ चिन्तामणि ।
: कल्हण की राजतरंगिणी ।
: हारलता एवं पितृदयिता के प्रणेता अनिरुद्ध भट्ट ।
: श्रीधर का स्मृत्यर्थसार ।
: मनुस्मृति के टीकाकार कुल्लूक ।
: गौतम एवं आपस्तम्बधर्मसूत्रों तथा कुछ गृह्यसूत्रों के टीकाकार हरदत्त । : वल्लाससेन, बंगाल ( गौड ) के राजा, अद्भुतसागर, दानसागर आदि के लेखक |
: धनञ्जय के पुत्र एवं ब्राह्मणसर्वस्व के प्रणेता हलायुध ।
: देवण्ण भट्ट की स्मृतिचन्द्रिका । : हेमाद्रि का चतुर्वर्ग चिन्तामणि । : वरदराज का व्यवहारनिर्णय ।
: पितृभक्ति, समयप्रदीप एवं अन्य ग्रन्थों के प्रणेता श्रीदत्त । : गृहस्थरत्नाकर, विवादरत्नाकर, क्रियारत्नाकर आदि के रचयिता चण्डेश्वर ।
: वैदिक संहिताओं एवं ब्राह्मणों के भाष्यों के संग्रहकर्ता सायण ।
: पराशरस्मृति की टीका पराशरमाधवीय तथा अन्य ग्रन्थों के रचयिता एवं सायण के भाई माधवाचार्य |
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