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एस धम्मो सनंतनो
जाना चाहता है मित्रों के पास, बाप कहता है, नहीं, रात हो गयी, सो जाओ। जब सोना नहीं चाहता है तब मां-बाप कहते हैं सो जाओ, जब उठना चाहता है सुबह तो उठने नहीं देते, जब नहीं उठना चाहता है तो उठाते हैं। जब खाना नहीं चाहता तो खिलाते हैं, जब खाना चाहता है तो रोकते हैं कि अब बहुत हो गया। हजार निषेध हैं, तो छोटा बच्चा निषिद्ध होता जाता है।
वह जो निषिद्ध छोटा बच्चा है तुम्हारे भीतर, वह कभी नहीं मरता, वह तुम्हारे भीतर मौजूद है। इसलिए कभी-कभी तुम अगर समझोगे ठीक से, ऐसी घड़ी आ जाती है जब तुम्हारा छोटा बच्चा प्रगट हो जाता है-किसी ने गाली दे दी, उस वक्त तुम जो व्यवहार करते हो वह छोटे बच्चे का व्यवहार है। तुम्हारी उमर पचास साल की हो, लेकिन तत्क्षण तुम ऐसा व्यवहार करते हो जैसे सात साल का बच्चा भी करने . में संकोच करे। जरा सी बात और तुम भूल गए अपने पैंतालीस साल, लौट गए बचपन में। पीछे तुम पछताओगे, तुम कहोगे, यह मैंने कैसे किया, यह किस बात ने मुझे पकड़ लिया, यह तो शोभा नहीं देता। जरा सी बात हो गयी और तुम एकदम बचकानी अवस्था में व्यवहार कर लिए। वह बच्चा तुम्हारे भीतर जिंदा है, दबा पड़ा है, जरा सी चोट की जरूरत है, निकल आता है।
तुमने देखा होगा, किसी के घर में आग लग गयी...मैं एक गांव में ठहरा था, एक घर में आग लग गयी। उस घर के मालिक को मैं बहुत दिन से जानता था, बड़े हिम्मत का आदमी, वह एकदम छाती पीट-पीटकर रोने लगा।
मैंने उसे जाकर कहा कि तू हिम्मतवर आदमी है-उसकी छाती भी बड़ी थी, वह गांव में रामलीला में अंगद का पार्ट करता था, उससे बड़ी छाती का आदमी मैंने फिर देखा नहीं, उसकी बड़ी चौड़ी छाती थी, वह एकदम छाती पीटकर-मैंने उसको जाकर कहा कि देख, जरा सुन भी, इतनी बड़ी छाती और ऐसे पीट रहा है! और तू अंगद का काम करता है! मकान में ही आग लग गयी है न!
वह मुझसे बोला, ज्ञान की बातें अभी नहीं! मुझे मत छेड़ो। अरे, मैं मर गया! वह फिर पीटने लगा कि मैं मारा गया, मैं लुट गया! छोटे बच्चे जैसा—जैसे छोटा बच्चा पैर पटकने लगता है और चिल्लाने लगता है।
तुमने कभी खयाल किया, छोटे बच्चे का एक लक्षण होता है, वह किसी भी चीज को चाहता है तो अभी चाहता है, इसी वक्त चाहता है। आधी रात में आइसक्रीम चाहिए, तो अभी चाहिए। वह मान ही नहीं सकता कि कल पर छोड़ा जा सकता है-क्यों कल पर? अभी क्यों नहीं?
तुमने अपने चित्त में भी यह वृत्ति देखी कई बार सिर मारती। एक कार रास्ते से गुजरते देखी और तुम कहते हो, अभी चाहिए, इसी वक्त चाहिए। चाहे अब घर बिक जाए, चाहे झंझट में पड़ जाओ, चाहे कर्ज लेना पड़े, चाहे जिंदगीभर चुकाने में लग जाए कर्ज, मगर इसी वक्त चाहिए, अब तो लेना ही है।
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