Book Title: Dhammapada 10
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 351
________________ एस धम्मो सनंतनो बच्चा पैदा होकर मर गया, वह भी जड़ा है। पैंतीस साल शायद किसी की भी औसत उम्र न हो। शायद एक आदमी ऐसा न मिले जो ठीक पैंतीस साल जीता है। मगर औसत! ___ कहते हैं, रूस में जब क्रांति हुई तो एक स्कूल की रिपोर्ट छपी और रिपोर्ट में छपा कि यहां सौ प्रतिशत शिक्षा में विकास हुआ है। और जब खोजबीन की गयी तो पाया यह गया कि कुछ ज्यादा नहीं हुआ था, स्कूल में एक ही शिक्षक था, पहले एक विद्यार्थी, अब दो विद्यार्थी हो गए थे—सौ प्रतिशत! सौ प्रतिशत सुनकर ऐसा लगता है कि भारी विकास हो गया। दिल्ली में ऐसे ही आंकड़े चलते हैं। बड़ा विकास हो रहा है। ऐसा हो गया, वैसा हो गया! आंकड़ों का सारा जाल! और आंकड़े इतना झूठ बोलते हैं जिसका कोई हिसाब नहीं। जिसको झूठ बोलना हो, उसे आंकड़े सीखने पड़ते हैं। आंकड़ों से इतनी सुविधा से झूठ बोला जा सकता है और झूठ इतना सच मालूम होता है! बद्धिमान अकेले से काम नहीं चलता। बुद्धिमान-इसलिए बुद्ध दो शब्द जोड़ते हैं—बुद्धिमान और अनुभवी। 'यदि साथ चलने वाला कोई बुद्धिमान...।' कोरे बुद्धिमान के चक्कर में मत पड़ जाना, कोरे पंडित के चक्कर में मत पड़ जाना। अनुभवी चाहिए। जिसने जीवन के अनुभव से जाना हो। जो कहता हो, उसे जीआ हो। जो कहता हो, उसका साक्षात्कार किया हो। अगर समाधि की बात करता हो तो शास्त्र में पढ़कर समाधि की बात न करता हो, अनुभव से करता हो। समाधिस्थ हुआ हो। कुछ लोग बुद्धिमान होते हैं, लेकिन अनुभवी नहीं होते। और कुछ लोग अनुभवी होते हैं, लेकिन बुद्धिमान नहीं होते। अनुभव तो हो जाता है, लेकिन बताने में सफल नहीं होते। वे भी किसी काम के नहीं हैं। उनके लिए तो गूंगे का गुड़ है। गुड़ तो खा गए, मगर बोल नहीं सकते। तो उनसे तुम कुछ न सीख पाओगे। बुद्धत्व पैदा होता है उस आदमी में जिसने अनुभव भी किया और अनुभव के साथ-साथ जिसके पास इतनी क्षमता है कि तुम्हें तर्कयुक्त रूप से समझा भी सके। वही सदगुरु। 'यदि साथ चलने वाला कोई बुद्धिमान अनुभवी मिल जाए, तो सभी विघ्नों को दूर कर उसी के साथ स्मृतिवान और प्रसन्न होकर धीरपुरुष चले।' दो फिर शर्ते बतायीं। 'स्मृतिवान होकर।' बुद्धपुरुषों के पास भी सोया-सोया न रहे, नहीं तो कोई सार नहीं है। जागा-जागा रहे। दीया जल रहा हो और तुम झपकी लेते रहो, तो भी कोई फायदा नहीं है। दीया जला कि न जला बराबर। 338

Loading...

Page Navigation
1 ... 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362