Book Title: Dhammapada 10
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 334
________________ जीवन का परम सत्य : यहीं, अभी, इसी में बड़ों की यह हालत हो गयी, तो च्यांग्त्सू ने कहा, मैं फकीर, मेरी क्या हालत होगी, जरा सोचो तो! ___ उसने खोपड़ी उठा ही ली। उसने फिर जिंदगीभर खोपड़ी को साथ रखा। वह जहां जाता खोपड़ी को अपने पास रखता। लोग जरा पूछते भी कि यह खोपड़ी किसलिए लिए फिरते हैं, यह जरा अच्छी नहीं मालूम होती, देखकर भय भी लगता है, वीभत्स है! वह कहता कि यही अपनी हालत हो जाएगी, इसको देखकर अपनी याद बनी रहती है। इसको देखकर चलने लगा हूं, यह मेरी गुरु हो गयी है। ऐसी छोटी-छोटी घटनाओं से जो निचोड़ता चले इत्र को, वही ज्ञानवान है। वह हाथी बूढ़ा हो गया था। सबको बूढ़ा हो जाना है। महाबलवान ठीक निर्बल दशा में पहुंच जाते हैं। महाधनवान ठीक दीन दशा में पहुंच जाते हैं। बड़े शक्तिशाली ऐसी शक्ति खो देते हैं कि तुम्हें भरोसा ही न आए। नेपोलियन जब हार गया और उसे सेंट हेलेना के द्वीप में कैद कर दिया गया, तो एक सुबह वह घूमने निकला है। छोटा सा द्वीप है जहां उसे कैद किया गया, द्वीप से भाग भी नहीं सकता, इसलिए उसे द्वीप पर घूमने-फिरने की सुविधा है। एक घसियारिन घास की एक गठरी सिर पर लिए हुए आ रही थी। पगडंडी है छोटी, और नेपोलियन का डाक्टर उसके साथ है-सम्राट था नेपोलियन, कैद में था तो भी डाक्टर उसको दिया गया था जो उसके साथ रहे, उसकी तीमारदारी करे—डाक्टर ने घसियारिन को आते देखा तो वह चिल्लाया कि ओ घसियारिन ! रास्ता छोड़! देखती नहीं कौन आ रहा है? लेकिन नेपोलियन ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, क्षमा करें, डाक्टर, तुम्हें होश नहीं है, वे दिन गए। हम रास्ता छोड़ दें। वे दिन गए जब मैं आल्प्स पर्वत से कहता कि हट जा, तो आल्प्स पर्वत भी मेरा रास्ता छोड़ देता। आज घसियारिन भी मेरा रास्ता क्यों छोड़े? आज कोई कारण नहीं है। और नेपोलियन किनारे हटकर खड़ा हो गया, घसियारिन को रास्ता दे दिया। समझदार आदमी रहा होगा। ऐसी दशा हो जाती है कि जिनके लिए हिमालय ‘रास्ता दे देता, उनके लिए घास वाली भी शायद रास्ता न दे। और यह दशा सब की हो जाती है। यह दशा होनी ही है। यहां कुछ भी थिर नहीं है। इसलिए यहां जिसने थिरता का बोध बनाया, वह नासमझ है। तो पहली तो बात, वह महाशक्तिवान हाथी, जिसकी कहानियां दूर-दूर तक फैली थीं, बूढ़ा हो गया था। और एक दिन तालाब की कीचड़ में फंस गया। जो युद्धों में नहीं फंसा था कभी, जिसको फंसाने के लिए न मालूम कितने षड्यंत्र और जाल किए गए थे, न मालूम कितने व्यूह रचे गए थे कि मार डाला जाए-क्योंकि वह कौशल-नरेश की ताकत था, उसकी वजह से कौशल-नरेश जीते थे युद्धों में जो हाथी सैकड़ों हाथियों के बीच भी घिरकर फंसा नहीं था कभी, वह आज एक साधारण से तालाब की गंदी कीचड़ में फंस गया है। हाथी फंसाने को आए थे, तो न फंसा 321

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