Book Title: Dhammapada 10
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 336
________________ जीवन का परम सत्य : यहीं, अभी, इसी में स्त्रियां तो बूढ़ी होती ही नहीं। हो जाएं तो भी नहीं होती। मानती नहीं। कोई किसी से पूछ रहा था अमरीका में कि स्त्री अमरीका की प्रेसीडेंट क्यों नहीं हो सकती? तो उन्होंने कहा, कठिनाई है, क्योंकि प्रेसीडेंट को कम से कम चालीस साल के ऊपर होना चाहिए। कोई स्त्री चालीस साल के ऊपर होती ही नहीं। ___ मैं उस वृद्धा को कहा कि अब और कब? पैंसठ साल की तू हो गयी। उसने कहा, हां, हो गयी, लेकिन अभी मैं मजबूत हूं और कमजोर भी नहीं हूं, आप देखते नहीं? अभी तो पच्चीस साल जिंदा रहूंगी कम से कम। मैंने कहा, आदमी जवानी में भी मर जाता है, आदमी बचपन में भी मर जाता है, तू पैंसठ साल के बाद भी यह सपना सम्हाले हुए है? ___ और संयोग की बात कि दूसरे दिन वह मुझे मिलने ही आ रही थी और एक कार से टकरा गयी। मैं उसके लिए राह ही देख रहा था, वह तो नहीं आयी, उसके बेटे की खबर आयी अस्पताल से कि हालत बहुत खराब है। और चौबीस घंटे बाद वह मर गयी। मरते वक्त बेटे को कह गयी कि कुछ भी हो, मुझे संन्यास तो दिलवा ही देना। मरते वक्त ! बेटा भागा हुआ आया, कहने लगा, मां तो चल बसी, लेकिन वह कह गयी है कि गैरिक वस्त्र पहनवा देना, माला गले में डलवा देना। मैंने कहा, तुम्हारी मर्जी ! तो माला यह रही, ले जाओ, अब मरे हुए आदमी की बात को क्यों इनकारना, मगर इसका कोई मूल्य नहीं है! __संन्यास मरकर लिया! लेकिन अधिकतर लोगों का तर्क यही है कि जब मरने के करीब आ जाएंगे, तब, तब फिकर कर लेंगे। इस छोटी सी बात में यह खयाल रखना। अगर यह हाथी जवान होता और कीचड़ में फंसा होता तो सहजता से निकल आया होता। क्योंकि जो ऊर्जा संसार में काम आती है, वही ऊर्जा संन्यास में भी काम आती है। ऊर्जा तो वही है। अक्सर लोग सोचते हैं कि जवानी में तो बड़ी कठिनाई होगी, क्योंकि वासना प्रबल होगी। माना, जवानी में वासना प्रबल होती है, लेकिन वासना से छूटने की शक्ति भी उतनी ही प्रबल होती है। बुढ़ापे में एक बड़ी दुर्घटना घट जाती है। वासना से छूटने की शक्ति तो निर्बल हो जाती है और वासना उतनी की उतनी प्रबल रहती है। वासना कभी छोटी होती नहीं, निर्बल होती ही नहीं। बूढ़े से बूढ़े आदमी के भीतर वासना वैसी ही जलती है, जैसे जवान आदमी के भीतर जलती है। उसका शरीर साथ नहीं देता, उसकी शक्ति साथ नहीं देती, लेकिन भीतर वासना वैसी ही जलती है। वासना में कभी बुढ़ापा नहीं आता। वासना बूढ़ी होती ही नहीं। ऊर्जा जवान होती है, ऊर्जा बूढ़ी होती है, वासना सदा जवान रहती है। तो जब ऊर्जा भी जवान हो, तब चाहे वासना से बाहर निकल आओ तो निकल आओ। जब ऊर्जा बूढ़ी हो जाए और वासना तो जवान रहेगी ही, तब निकलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। 323

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