Book Title: Dhammapada 10
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 312
________________ हम अनंत के यात्री हैं सेतो कोई सार नहीं है । - अगर तुम्हारा पश्चात्ताप का यही अर्थ हो- -जो कि अक्सर होता है। लोग कहते हैं, पछता रहे हैं, खूब पछता रहे हैं; ऐसा नहीं करते, फलां को गाली दे दी, न देते; यह लाटरी की टिकट खरीदने का मन था और यही नंबर की टिकट मिल रही थी और न खरीदी, आज लखपति हो गए होते; कि इस घोड़े पर लगा दिया होता दांव; कि ऐसा कर लिया होता, कि वैसा कर लिया होता, कि इस बार जनता की टिकट पर खड़े ही हो गए होते। अतीत को तुम अगर बार-बार सोचते हो, इससे कुछ लाभ नहीं है, इसके कारण नुकसान है, क्योंकि इसके कारण तुम भविष्य को नहीं देख पाते और वर्तमान को नहीं देख पाते, तुम्हारी आंखें धुएं से भरी रहती हैं । अतीत को तो दो। आंखें खुली रखो, साफ रखो, जो हो गया, हो गया; जो अभी नहीं हुआ, उसमें कुछ किया जा सकता है। तो इस अर्थ में तो पश्चात्ताप कभी मत करना, अतीत का चिंतन मत करना । लेकिन एक पश्चात्ताप का और भी अर्थ होता है कि अतीत से सीख ली, अतीत के अनुभव को निचोड़ा, अतीत से ज्ञान की थोड़ी किरण पायी; जो-जो अतीत में हुआ है, उसको ऐसे ही नहीं हो जाने दिया, जो भी हुआ, उससे कुछ पाठ लिए, उस पाठ के अनुसार आगे जीवन को गति दी, उस पाठ के अनुसार अगले कदम उठाए । यह छोटी सी कहानी सुनो एक सूफी संत थे, बड़े ईश्वरभक्त । पांच दफे नमाज पढ़ने का उनका नियम था। एक रोज थके-मांदे थे, सो गए। जब नमाज का वक्त आ गया तो किसी ने आकर उन्हें जगाया, हिलाकर कहा, उठो - उठो, नमाज का वक्त हो गया है। वे तत्काल ही उठ बैठे और बड़े कृतज्ञ हुए, कहने लगे, भाई, तुमने मेरा बड़ा काम किया, मेरी इबादत रह जाती तो क्या होता! अच्छा अपना नाम तो बताओ। उस आदमी ने कहा, अब नाम रहने दो, उससे झंझट होगी। लेकिन संत ने कहा, कम से कम नाम तो जानूं, तुम्हें धन्यवाद तो दूं। तो उसने कहा, पूछते ही हो तो कह देता हूं, मेरा नाम इबलीस है। इबलीस है शैतान का नाम। संत तो हैरान हुए, बोले, इबलीस? शैतान ? अरे, तुम्हारा काम तो लोगों को इबादत से, धर्म से रोकना है, फिर तुम मुझे जगाने क्यों आए? यह बात तो बड़ी अटपटी है। सुनी नहीं, पढ़ी नहीं; न आंखों देखी, न कानों सुनी, शास्त्रों में कहीं उल्लेख नहीं कि इबलीस और किसी को जगाता हो कि उठो - उठो, नमाज का वक्त हो गया। तुम्हें हो क्या गया है ? क्या तुम्हारा दिल बदल गया है ? शैतान ने कहा, नहीं भैया, इसमें मेरा ही फायदा है। एक बार पहले भी तुम ऐसे ही सो गए थे; नमाज का वक्त बीत गया तो मैं बहुत खुश हुआ था, लेकिन जब तुम जागे तो इतना रोए, इतने दुखी हुए, इतने हृदय से तुमने ईश्वर को पुकारा और इतनी 299

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