Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 180
________________ धाम- स्म्यहं // 30 // वेश्याव्यसनतः दीण–वेश्मवित्तपरिबदः // आश्वासितोऽहमुद्याने / मर्तुकामो महर्षिणा // 35 // भोगानिलाषुकस्तस्मा–दुपात्तद्रव्यसंयमः॥ ब्राम्यन् तमठे तत्र / तपस्तेपे. | अर्धवत्सरं // 40 // तदंतर्दिव्यया वाचा / यावत्सप्रत्ययोऽनवं / / त्वमाजुहाविध दारे। तावत्संकेति 517 | तेव मां // 41 // साथोचे वत्स जाग्यैर्न-स्त्वं यः कश्चिदुपागतः // स एवासि प्रमाणं किं / नि ष्फलैः परिदेवनैः // 42 // तथा ब्रूयास्तथा कुर्या / दद कामुष्यनागपि / / श्यं त्वयि प्रसन्ना स्यालो? कुशाग्रपुरमा रहेनारा सुरेंद्रदत्त शेठनो हुं धम्मिल नामनो पुत्र बु. // 30 // वेश्याना व्यस नथी मारुं घर धन तथा परिवार नाश पाम्यां बे, अने तेथी हुँ थापघात करवानी श्वाथी वन मां गयो हतो, धने त्यां एक महर्षिए मने शांत पाड्यो हतो. // 35 // पनी नोगोना अनि लापथी हं अव्य संयम लेश्ने नमतोथको ते नृतमठमां श्राव्यो, अने त्यां हुं बरधा वर्षसुधी तप तप्यो.॥४०॥ पनी त्यां दिव्य वाणीथी जेवामां मने खातरी थइ तेवामां संकेत करेलीनीपेले तें मने बारणेथी बोलाव्यो. // 41 // त्यारे तेणीए कहूं के हे वत्स! अमारां नाग्योथी तंज जे | कोश मळी श्राव्यो तेज अमारे प्रमाणत ने, हवे फोकट पश्चात्ताप करवाथी शुं थवानुं जे? // Jun Gun Aaradhak Trust ..PP.AC.Gunratnasun M.S.

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