Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धग्नि- थारोह्येमां रथे रात्रौ / तत्रागां नृतमंदिरे // आहूते धम्मिले तस्माद् / नवान् नदक निर्ययौ / / साई // 34 // धातुवस्तुविपर्यासं / कापि कुर्वति वाणिजः // नरभेदस्तु तत्रत्यै- तैर्यदि पुनः कृतः / / | // 35 ॥.स्निह्यति सा कथं रूपा-कूपारे तत्र रागिणी॥ त्वयि ग्रामश्रोतसीव / हंसी मानसवासि. 125 | नी // 36 // वत्स त्वमपि विश्वस्तो / वद खं वृत्तमादितः / / सौहृदं वपरोदंत-कथनप्रश्नसार्यक // 37 // सोऽप्यूचे शृणु हे मातः / कुशाग्रपुरवासिनः॥ सूनुः सुरेंद्रदत्तस्य / श्रेष्टिनो धम्मिलोऽ. | नहि. // 33 // पनी या राजपुत्रीने रथमां बेशाडीने हुं रात्रीए ते नृतमंदिरमा श्रावी, अने ध. म्मिलने बोलाव्याथी हे जद्रक ! तेमांथी तो तुं निकळी. पड्यो! // 34 // वणिको धातुविगेरे व. स्तुनो क्यांक फेरफार करी नाखे , परंतु त्यां रहेला तोए तो मनुष्यनो पण फेरनार करी नाख्यो! // 35 // रूपना समुऽसरखा एवा ते पुरुषमा रागवाळी थयेली ते मानसरोवरमा रहेनारी हंसी जेम गामनी गटरमा तेम तारामां शीरीते रागवाळी थाय? // 36 // वळी हे वत्स तं पण विश्वासी थाने प्रथमथी पोतानुं वृत्तांत कहे, केमके मित्रा तो पोतानुं अने परतुं वृत्तांत कहेवा। थी तथा पूजवाथीज सार्थक थाय जे. // 31 // त्यारे ते पण बोल्यो के हे माताजी! तमो सांच P.P.AC. Gunrainasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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