Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ घम्मिः स्तके शेषैः / प्रतीकैः का धुरीणता / / 75 // सोऽथ खं चालयामास / जितकासी पुरो रयं // च / के च तद्गुणश्लाघां / विमला कमलांप्रति // 76 // वत्से शौर्यकलैवास्य / वक्ति महाकुलीनतां // प्रजवः कौस्तुभस्य स्या-न हि रत्नाकरं विना // 9 ॥असौ कलावलान्नूनं / मानं दूरेऽपि ल. स्यते // त्वमत्र द्वेषमापन्ना / स्वं क्लेशयसि केवलं // 5 पौंस्त्वे महावने लोल-खजावे चाल. नोद्यते // वल्लीव नंदत्यबला / निराधारा कियच्चिरं // 7 // अमर्तृगाजनाधारां / राछ नक्तमिव | धम्मिले पोतानो रथ आगळ चलाव्यो, त्यारे विमला कमलापते तेना गुणोनी प्रशंसा करवा ला. गी के, // 76 // हे वत्स! पानी या शूरतानी कलाज भानुं महाकुलीनपणुं जणावे , केमके रत्नाकरविना कौस्तुनमणिनी नत्पत्ति संजवे नहि. // 77 // खरेखर या धम्मिल पोतानी कळा ना बळथी बागल पण मान मेलवशे, अने तुं जो तेनाप्रते द्वेष राखीश तो केवल तुं पोताना | श्रात्माने क्लेशमां नाखीश. // 70 // चपल खजाववाळो कामरूपी वायु ज्यारे चलाववा मांडे त्यारे वल्लीनीपेठे निराधार अबला केटलोक काळ नजी शके ? // ७ए. // वळी हे पुत्री! नाररू. पी नाजनना बाधारविनानी रांधेला अन्नसरखी स्त्रीने दुःखे घटकावी शकाय एवा लफंगारूपी P.P.AC.Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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