Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 190
________________ धम्मिः यास्मि देवेन वंचिता // प्रदर्य सुमनःशालं / ददता कलिपादपं / / 75 // सुपात्रे वा कुपात्रे वा / निर्विशेषाग्रहा हहा // रसझा न हि किं तूर्वी / दर्वी जिह्वा मुखे तव // 6 // नामाप्यस्य न में | प्रीति-कारि दूरेऽस्तु दर्शनं // धूमोऽप्युटेजको वढे-रस्त्वालिंगनमंगिनां // 7 // गर्दास्थानं 537 | हि गार्हस्थ्यं / मातः कुपुरुषैः सह // कंटकैरेव विध्यंते / बब्बूलममाश्रिताः // 7 // सनर्तृका | अपि परै-धृष्याः स्युरधरस्त्रियः // सेव्यते तरुणालीटा / अपि मँगैलता न किं / ए // नैकाकि खाडीने क्लेशरूपी वृत पापीने ठगी . // 5 // अरेरे! सुपात्र अथवा कुपात्रना तफावतने नहि जाणनारी या तारा मुखमा रहेली जीभ रस जाणनार) नथी, परंतु फक्त चाटवी (कडछी) सरखी जे. // 6 // या धम्मिलनु नाम पण मने प्रीति करनारं नथी, त्यारे तेनुं दर्शन तो दूर रा. केमके अमिनो धूमामो पण प्राणीनने ज्यारे कंटाळो आपनारो मे, त्यारे तेना स्पर्शनी तो वातज शं. करवी? // 7 // माटे हे माता! कुपुरुषोसाथे करेलो गृहस्थावास निंदवालायक ने, केमके जेल बावळना वृदानो आश्रय करे जे ते कांटा थीज वांधाय . // 7 // जरिवाळी | एवी पण बीजी नादान स्त्रीनने परपुरुषो हेरान करे , केमके वृदने वळगेली वेलडीने पण शं P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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