Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ साथ धाम्म | ए // जोगयोग्योऽथ तातेन / महोत्सवपुरस्सरं / पर्यणायींद्रदत्ते न्य-पुत्रीं शीलवतीति सः // 2500 // पितुः प्रसादानिश्चितः / सततं स तया सह // तृतीयपुरुषार्थस्य / रसनिःस्पंदमन्वत् | // 1 // अथ तस्य पिता पश्यन् / जरामासेषीमिति // अधीतविस्मृतमिवा-वसाने व्यमृशनिशः 240 // 2 // यहो सुरक्षितमपि / दीयमाणं दणे दणे / अंजलिस्थं जलामिव / निष्टामायुरियाय मे | // 3 // इदं कृतमिदं कृत्य-मिति ध्यायंत एव हि // आक्रांताः स्मः कथं वैरि-धाट्येव जरयानया // // ते वृधि पामतोथको चंद्रनी स्पर्धाथी सर्व कला मेलवीने अनुक्रमे कामदेवनी मित्रसरखी वयने प्राप्त थयो. // ए // त्यारे तेने नोगोने योग्य जाणीने पिताए महोत्सवपूर्वक इं. द्रदत्त शेग्नी शीलवती नामनी पुत्रीसाथे परणाव्यो. // 2500 // पनी पितानी कृपाथी ते नि: श्चित थश्ने हमेशां तेणीनी साथे वीजा पुरुषार्थना रसना करणने अनुनववा लाग्यो. // 1 // हवे तेनो पिता घरपणने नजीक श्रावतुं जोश्ने अन्यासबाद जाणे विसरी गयो होय नहि ते. म रात्रिने जेडे विचारखा लाग्यो के, // 2 // यहो! सारी रीते रक्षण कर्या उतां पण अंजलिमां रहेला जलनीपेठे दणे दणे नाश पामतुं मारु श्रायु खलास थवा श्राव्युं . // 3 // अरे! अ. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. lindin AaradhakTrust .

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