Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 203
________________ 250 धाम्म- दयस्यैतत् / किमन्य श्व नापसे // अस्ति कोऽपि बलात्कारः / किं बालसुहृदि त्वयि // 45 // तिः / | ष्ट वा गल वा खैरं / पूना कान निरर्थका // नेदिष्टो वा दविष्टो वा / वं मे हृद्येव वर्तसे // 46 // चेद्यासि तदिम लेख-मिदमानरणं हृदः // गृहाण तत्र च गतो / मत्प्रियायाः समर्पयेः // 4 // | वस्तुयं तदादाय / विप्रः विप्रमथाचलत् // सत्वरं स पुरं प्राप्तः / समगस्त परिबदं // 4 // ते | लेखाचरणे मित्रा-पिते कृत्वा सुसंचिते // स्वयं स्नात्वा च जुक्त्वा च / सौधस्योपरि सोऽस्वपीत् | केम बोले ? केमके बालमित्र एवो जे तुं, तेनापते शुं कई मारो बलात्कार ? // 45 // ता. री खुशीमुजब तुं रहे अथवा जा, या बाबतमां तारे फोकट शामाटे पूवं जोश्ये? तुं नजीक हो अथवा दूर हो, तोपण तुं मारा हृदयमांज वसी रह्यो इं. // 46 // हवे जो तुं जाय ने तो था मारो कागल थने मारा हृदयतुं यानूषण तुं ग्रहण कर? अने त्यां जश्ने ते बन्ने वस्तु मारी प्रा. णप्रियाने पापजे. // 7 // पनी ते ब्राह्मण ते बन्ने वस्तुन लेश्ने त्यांथी चालतो थयो, तथा तु. स्त पोताना नगरमां जश्ने कुटुंबने मल्यो. // 40 // मिते आपेला ते कागळ तथा आनुषणने | सारी रीते पेटीमां मूकीने पूपोते स्नान र्वक नोजन करीने घरने जपले मजले सुतो. // 40 // ह. PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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