Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ धम्मिः // // प्रियमित्रं समायातं / श्रुत्वा सा शीलवत्यपि // दयितोदंतजिज्ञासु-स्तस्य मंदिरमाययौ // 50 // क स विप्रवरोऽस्तीति / तयाबि परिबदः // तेनोचे सांप्रतं नुक्त्वा / गृहोज़ शयितो. ऽस्त्यसौ / / 51 // 251 // इति श्रीधम्मिलचरित्रस्य तृतीयो नागः समाप्तः // | वे ते शीलवती पण पोताना नरिना मित्रने श्रावेलो जाणीने तेमनो समाचार जाणवानी इ. | बाथी तेने घेर यावी. // 50 // ते उत्तम ब्राह्मण क्यों ? एम तेणीए तेना परिवारने पूज्यं, यारे परिवारे कयुं के हमणाज नोजन करीने घरने उपले माळे सुता . // 11 // // एवी रीते श्रीधम्मिलचरित्रनो त्रीजो नाग संपूर्ण थयो . // P.R.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Page Navigation
1 ... 202 203 204 205