Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________ धम्मि- व ध्रुवं / / 27 // सदा मयि हृदंतस्थे / का ते विरहनीरुता // मामकी मा मुचः शिदा-मिमां प्रिमा यसखीमिव // // कुर्याः प्रेयसि दीनसाध्वतिथिषु खस्योचितां सतियां / दानाद्यैः परितोषयेः परिजनं श्वश्रू च सम्यग्गजः।। नेपथ्यं परिवर्जयेः परमनोधैर्यापनोददमं / प्रायेणावसथे ख एव 556 निवसेः शीलं परिपालयेः // 25 // श्याश्वास्य प्रियां याव-दात्तभांडश्चचाल सः // तावत्सदैन्यमेयोचे / सोमतिः सुहृद्दिजः // 30 // प्राप्तौ कदाचिदावां नो / वियोगं जन्मतो मिथः // अ. मवाळो हौवाथी खरेखर पारापतनीपेठे दृरथी पण पागे वळीश. // 7 // वळी तारा हृदयमां हैं हमेशां बेठो बुं, तो पछी तने विरहनो डर शानो ? वळी प्रिय सखीसरखी या एक मारी शि. खामणने तुं डोमीश नहि. // 2 // हे प्यारी! तुं दीन, साधु बने अतिथि प्रते पोताने न. चित सत्कार्य करजे, दानयादिकथी परिवारने संतुष्ट करजे, तथा सासुनी सम्यक प्रकारे सेवा का रजे, वळी परना मननी धैर्यतानो नाश करनारां वस्त्रावृषणनो त्याग करजे, तथा प्रायें करीने पो. तानाज घरमा रहेजे, अने शील पाळजे..॥ 27 // एवी रीते पोतानी स्त्रीने आश्वासन पापीने सरसामान लेश्ने जेवामां ते चालवा. लाग्यो, तेवामां तेनो मित्र सोमति नामनो ब्राह्मण तेनी . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

Page Navigation
1 ... 197 198 199 200 201 202 203 204 205