Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 03
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 196
________________ धम्मिः // 12 // स्वयं च नवनिर्वृ त्तेः / कर्ममर्माविधं बुधः // सुगुरुत्यस्तदा दीदा-माददे पारमेश्वरीं // / // 13 // तप्यमानस्तपस्तीवं / दूरयन चरितानि सः // नपात्तपुण्यपाथेयः / सौधं नेजे सुधानुजां | // 14 // धुरं समुद्रदत्तोऽपि / पैत्रिकी पितृवद्दधौ // पितुस्तुव्या हि सत्पुत्रा / न बीजादसहक्कलं 543 | // 15 // अथान्येारसौ प्रात-जर्जातनिद्रात्ययः श्रियं // समर्जयितुमूर्जस्त्रि-मना एवमचिंतयत् | // 16 // कोटिशोऽस्ति गृहे द्रव्यं / तातपादैरुपार्जितं / मातुः स्तन्यमिवेदानीं / तन्न लोगोचितं | | विरक्त थइने सुगुरुपासेथी कर्मोना मर्मस्थानने नेदनारी जैनदीदा ग्रहण करी. // 13 // पछी ते तीव्र तप तपतोयको बने पापोने दूर करतोयको पुण्यरूपी नातुं मेलवीने देवलोकमां गयो.॥ / / 17 // हवे समुद्रदत्ते पण पितानीपेठेज पोताना पितानी पदवी धारण करी, केमके नत्तम पु. त्रों पितासरखाज होय बे, केमके बीजथी फळ भिन्न पमतुं नथी. // 15 // पछी एक दिवसे प्रनातमा निद्रा नड्याबाद हिमती मनवाय ते समुद्रदत्ते धन कमावामाटे विचायु के, // 16 // घ. रमां तो मारा पिताजीए उपार्जन करेवू क्रोडोगमे द्रव्य बे, परंतु माताना स्तन्यनीपेठे हवे मारे | ते जोगववालायक नथी. // 17 // वळी पिताए मेळवेली लक्ष्मीना दान अने नोग सहेवा ने P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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