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111. j'! Nataka
13 Begins.- fol. rb
॥ श्रीगोपीजनवल्लभाय नमः ॥ श्रीविश्वेश्वराय नमः ॥ श्रीवृद्धाकालाय नमः॥
मध्याह्नार्कमरीचि etc. as in No. 98. fol: 8. इति ब्रह्माद्वैतमहाकविश्रीकृष्णमिश्रकृत्तौ प्रबोधचन्द्रोक्ये कामापयानो
नाम प्रथमोकः॥ fol. Itp:' इति प्रबोधचन्द्राक्ष्य सायाकः ॥ Ends.- fol. 370 पर्जन्योस्मिन् जगति etc. up to संसाराब्धिविषयममतातकंपकं तरंतु ॥
as in' No. 88. followed by इति श्रीकृष्णमिश्रविरचिते प्रबोधचन्द्रोदय जीवन्मुक्तिर्नाम
षष्टोंकः ॥ संवत् १६८८ वर्षे श्रावणमासे कृष्णपक्षे त्रयोदश्यां शनी लिखितमिदं मनोहरेण वाचकेन स्वपठनार्थ परोपकृत्यै च ॥ शुभ
भवतु ॥ छ ॥ श्रीरस्तु । छ छ । स्वस्त्यस्तु ॥ References.- Same as in No. 98.
730.
प्रबोधचन्द्रोदय
Prabodhacandrodaya No. mr.
186-9: size:23 Bf in. by 3g in. Extent.— 59 leaves ; 8 lines to a page; 36 letters to a line. Description.- Old country paper; Devanagari characters'; hamda
writing clear, legible and uniform ; borders of folios 1-28 ruled in two double red lines, the rest in two double black , some of the folios yellowish in appearance ; edges of some folios torn; fol. I seems to be pasted on another
leaf; complete. Age.- Appears to be ord:: Author.- Krsnamisra.. Begins.-fol. b
॥ श्री०॥ श्रीगणेशाय नमः मध्याह्नार्कमरीKिetc: as it Nor-j8..