Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 14
Author(s): Parshuram Krishna Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 289
________________ 268 Nataka [ 221. विद्यापरिणय Vidyāpariņaya 785. No. 221 1886-92. Size- 11$ in. by s& in.; 124 in. by 6 in. Extent. — 47 leaves ; 12 lines to a page, 34 letters to a line. Description.-- Country paper ; Devanagari characters; hand-writ-... ing clear and legible; no border-lines for folios%; red pig ment used; edges of some folios slightly worn out; complete. Age.- Samvat I915. Author.- Anandarāyamakhi. Subject.-- An allegorical drama the plot of which is the marriage between the Jivātman and Vidyā. Begins.-fol. IN ॐ ॥ सत्यज्ञानसुखाद्वयोपि बहुधा रूपाणि बिञ्चिरा दप्रज्ञेयविलासवैभवनिजाविद्याविधेयीकृतः ॥ आनंदान्विषयोदिताननुभवं भूयः स्वया विद्यया प्रश्लिष्टः परमार्थभोगमुदितः पायादुमायाः पतिः॥१॥ ... नांद्यते सूत्रधारः ॥ नेपथ्याभिमुखमवलोक्य ॥ मारिष इतस्तावत् ॥ प्रविश्य परिपाश्चिकः ॥ भाव एषोस्मि । परिपाश्चिकः । कं पुनः प्रबंधमवलंब्य ॥ सूत्र० । नन्वस्ति मम वशे सकलशमधनजनहृदयानंदसमुद्घाटकं विद्यापरिणयनं नाम नवीनं नाटकं ॥ परिपार्श्विकः । कस्तस्य प्रबंधस्य कविः ॥ सूत्र ॥ विद्वत्कविकल्पतरुरानंदरायमखीः ॥ etc. fol. 9 विद्यापरिणये नाटके प्रथमोंका समाप्ताः॥ fol. 12 विद्यापरिणये द्वितीयोंक समाप्तः ।। Ends.- fol. 476 तथापीदमस्तु ॥ अस्तु स्वस्ति जगत्रयाय जगतीं रक्षतु भूमीभुजो धर्मेणैव यथा भवंतु सुखिनः सर्वोप गोब्राह्मणाः ॥ पर्जन्यान्नमखक्रमेण जगतश्चक्रं तदा वर्ततां

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