Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 14
Author(s): Parshuram Krishna Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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174]
Nataka मुण्डितप्रहसन
Muņditaprabasana
83. No. 174
A. 1883-84. Size.-- IS in. by 6g in, Extent.— 12 leaves ; 15 lines to a page ; 54 letters to a line. Description.- Modern country paper; Devanagari characters%3B
hand-writing, clear, legible and uniform; complete; margins
not ruled with border-lines. Age.- Samvat 1940 ( = A. D. 1884). Author.- Sivajyotirvit. Subject.- A farce in three acts. Begins.- fol. I.
॥श्रीगणेशाय नमः। कठिनकुचयुगं ते चंचलाक्षिद्वयं ते कुटिलकचचयस्ते मंदयानं त्वदीयं अतिशतमध्यस्ते मिथः केलि तल्पे
प्रलयनमिति रोषात् पातु गौरीशयोर्वः १ नांद्यते सूत्रधारः Alter Some lines:
भद्रादिष्टास्मः परिषदा दांभिकहासोपन्यासाय तन्न जानीमः केन विनोदे. नैनामाराधयाम इति नटः कर्थ विसुमरिंद अज्जमिस्से हिंजंसवच्छरि आसिवकिदंदुजनविद्धं करण
समत्थं मुडितप्पहसनं णाम णाडअं तं पआए अधिकरी अडुति सूत्र भद्र सम्यग्दृष्टवानास यत्सत्यं शिवज्योतिर्वित्कृतं मुंडितप्रहसनं
धर्मे रतानां किलधर्मवृद्धिं पाखंडनिंदावशतो विधत्ते ये दांभिकावंचनमात्रनिष्टारतेषां विधेः केवलवज्रपातः २
यदनुकर्णाद्वयमपि धर्माप्सभागिनो भवामस्तदेहि कुशीलवानां प्रतिपात्रं
यत्वमाज्ञापयाम etc. Ends.- fol. 12b
इत्याशास्ते राजा मुंडित कथय किं ते भूयः प्रियमुपकराम गंड अतः परमपि प्रियमस्ति किंचित् दविशालाधा परः विठ्ठलीकुशलिन्यास्ते प्रालीलावती मया २७
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