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Nataka
[193.
रत्नावली
Ratnávali
No. 193 .
630. 1882-83.
Size.- Iog in. by 4g in. Extent. --- 25 leaves ; 13 lines to a page ; 32-34 letters to a line. Description.-Country paper; Devanagari characters; hand-writ
ing clear, legible but not uniform ; yellow pigment used for corrections ; folios numbered in both the margins,
some additional portion on folios 3, 4, 5, 6; complete, Age.- Saka 1749. Author.- Sri Harsa. Begins.-fol. I
श्रीमद्वेदव्यासाय नमः। पादाग्रस्थितया etc. as in No. 190. fol. 6. प्रथमोकः॥ fol. II द्वितीयोंकः ॥
fol. 18 तृतीयोंकः॥ Ends.-fol. 25
तथापीदमस्तु उन्बीसदहामशष्यां etc. up to पिशुनजनवचो वर्जनाइजलेपं ॥२१॥
. as in No. 190. followed by इति निष्क्रांताः सर्वे ॥ चतुर्थोऽङ्कः॥
इति श्रीपंडितशिरोमाणि कविराजेन श्रीहर्षेण विरचिता रत्नावली नाम नाटीका समाता ॥ छ॥
इदं पुस्तकं आत्मारामविश्वामित्रोपाभिधस्य ॥ स्वार्थ परोपकारार्थ चास्तु ॥ लेखकपाठकयोः शुभं भवतु कल्याणं चास्तु ॥
श्रीकृष्णार्पणमस्तु । शके १७४९ सर्वजिददे तपसः शुक्लनवम्यां गुरौ
On fol. 25b we have
॥ इति श्रीहर्षस्य रत्नावली नाटिका समाप्ता ॥ References.- See No. 190.
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