Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 271
________________ 260 Vodangas श्रीगणेशं नृसिंहं च शारदां गुरुपंकज नत्वा संक्षेपतो वच्मि बृहज्जातकटिप्पणं ॥ १ ॥ शिष्टाचारपालनायेष्टग्रंथाविघ्नसमाप्त्यै चावंतिकाचार्यो वराहमिहराके लब्धवरो गणितस्कंधानंतरं होराग्रंथं चिकीर्षुरादाक्सिद्धिं शार्दूलविक्रीडिते नाह। Begins (text) fol. 10 afara afrafega: etc. fol. 64 इति श्रीमहीधरकृते बृहज्जातकवृतौ राशिप्रभेदः प्रथमोध्यायः ॥ १॥ Ends - fol. 101a शास्त्रावसाने सतां नतिमार्ययाह दिनेति । रवेसिष्टादमुनीनांमादित्यदासस्य च चरणनभ्याकृतः प्रसादोनैर्मल्यं यस्या ईदृशा मतिर्यस्य तेन मवेदं शास्त्रमुपक्षिसिप्तं तस्मात्पूर्वप्रणेतृभ्यः पूर्वशासाकर्तृभ्यो नतिरस्तु । इति मधहीधरकृते जातकविवरण उपसंहाराध्यायः षट्विंशः २८ श्री. गुरुर्जयतितरां श्रीसूर्योजयतितराम वेदमूर्तिर्जयति ... नेत्रेषु शीतांशुः १५२० शाके व्यतीते ... मासि धातुतिथौ सोमे वासरे। महीदासवि ... हे शानपु· बृहज्जातके टिप्पणं संव्यधत्तः ।। वराभीतिचक्रं विना कंददानं त्रिनेत्रे फणीशातपत्रं सिताभं ॥ श्रियालिंगितं डाडिमं संदधत्यान्यसिंह विरंच्यादिसेव्यं भजेयं ॥२॥ रमोमारतिक्ष्याभिरीशैर्युताभिः पुरो दक्षिणो पश्चिमे चोत्सरेपि । सुसेव्यं षडस्तमुदायोदपूर्वगणेशं स्व ... युतं पंक्तिहस्तं ॥३॥ संवत् १८९७ पौष शुक्ल ५ भौमवारे लिपिकृतं श्रीनंदन स्वपठनार्थ शुभ भूयात् लेखकपाठकयोः श्रीरस्तु कल्याणमस्तुः शुReferences - See No. 1951A1883-84. बृहज्जातकविवरण Brhajjātakavivarana 541 No. 803 1895-1902 Size. - 10 in. by 4g in. Extent -- 109 leaves; 10 lines to a page; 30 letters to a line. Description - Country paper3 Devanagari characters%3; not very old in appearance; handwriting clear, legible, uniform; and boaut

Loading...

Page Navigation
1 ... 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364