Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 293
________________ 282 fol. 40 इति श्रीशाकल्यसंहितायां द्वितीयप्रभे ब्रह्मसिद्धांते प्रथमोध्यायः १ fol. 110 इति श्रीब्रह्मसिद्धांते द्वितीयप्रभे द्वितीयोध्यायः २ Ends - fol. 22a Vedängas अधीतमखिलइछंदः स्थाणुरूपं प्रतीयते गैर्विना यथा चांगी तस्मादेतत्प्रसीद मे ३ etc. Age Author धूम्रं कृष्णं क्रमात्कृष्णं कृष्णताम्रं विनिर्दिशेत् किंचिदूनाधिकैः पादैश्छत्रं कपिलमेव तत् १३ नदपं यस्य कस्यापि रहस्यं शास्त्रमुतमं एतद्देयं सुशिष्याय मुने वत्सरवासिने १४ इति श्रीशाकल्यसंहितायां द्वितीयप्रश्ने ब्रह्मसिद्धांते षष्टोध्यायः समाप्तोयं ब्रह्मसिद्धातः शके १७६६ वैशाख कृ ।। श्रीसंवतः १८६१ मीती चैत्रशुदी पंचमी वार अतवारके पुस्तक संपुर्ण शुभं भवेत ॥ ॥ श्रीरामचंद्राय नमः ॥ ॥ श्रीहनुमानजी शाह || || श्रीदेवीजी शहाइ ॥ ज्योतिर्विद्वल्लभरामस्येदं पुस्तकं ॥ संपूर्ण ॥ Reference - See No. 286 / Vis. I. ब्रह्मसिद्धान्त (from शाकलसंहिता ) No. 822 Size - 13 In. by 4g In. Extent - 29 leaves; 9 lines to a page ; 45 letters to a line. Description - Modern paper with watermarks; Devanagari characters; new in appearance; handwriting beautiful, clear, legible and uniform; borders ruled in double red lines; white chalk and yellow pigment used for corrections; folios numbered in both margins. - Modern. — Bramhasiddhanta (from śākalasamhitā ) The Ms. contains Adhyāyas 1-6 of Bramhasiddhānta from Sakalasamhita. - Sakala. 286 Viśrāma (i)

Loading...

Page Navigation
1 ... 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364