Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 331
________________ 320 Vedangas Description - Country paper; Devanāgarl characters; not very old in appearance; handwriting bold and clear but not quite uni. form; red pigment used for marking; yellow pigment used for corrections; white chalk also used, complete. The work is also called मेघमाला or रत्नमाला Age - Samvat 1894. Author - Nārada. Subject - Indication of coming rain, famine or plenty etc. from the appearance of the atmosphere. Begins-fol. 10 ॥ श्रीगणेशाय नमः॥ उदयास्तमनं केतोगणितेन प्रकाश्यते ज्ञातुं ख दिव्यभौमाश्च यतस्ते त्रिविधा मता १ एकोत्तरशतं त्वेके सहस्रमपरे विदुः एकश्च बहुधा भाति प्राह वै नारदो मुनिः २ etc. Ends-fol. 22b पंचग्रहा हंति चतुष्पदानां चेत् षड् ग्रहा हंति समस्तभूपान् सप्तग्रहा हंति समस्तदेशानिहंति चाष्टग्रहकूटयोगः एके राशौ यदा यांति चत्वारः पंच खेचराः प्लावयंति महीं सवा रुधिरेण जलेन च ७ इति गृहश्रृंगाटकं ॥ इति श्रीनारदमुनिविरचिते मयूरचित्रं संपूर्ण समाप्तं ॥ एभमस्तु ॥ संवत् १८९४ मार्गमासे कृष्णपक्षे सप्तमी रविवासरे मयूरचित्रकं नाम ग्रंथमेतत् लिपीकृतम् १ प्रक्रुध्यंति क्षितीशाः प्रचलति वसुधा मोदते दस्युवर्गा विभ्रंशो बुद्धिराज्ञां जनपदमरणं चित्रवापी पयोदाः चंद्राकॊ रमिहीनौ ग्रहगणसहितौ वांति वाता प्रचंडा. श्चक्राकारं भ्रमति जगदिदं मीनगे चार्कसूनौ । यावन्मार्तडपुत्रो वृषभगंतुलगतो वृश्चिके मीनसिंहे राशावेकाधिपत्ये सरगरसहितो भूमिपुत्रो युतो वा तावद् दुर्भिक्षकालं नरपतिमरणं क्षुत्पिपासार्तिलोके प्रामारण्ये स्मशाने नरपतिभवने नृत्ययंते पिशाचा ॥२॥ कीदाज ......

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