Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 301
________________ 290 Vedangas Age - Appears to be old. Author - Not mentioned. Subject - A treatise on horoscopy. Begins - fol. 10 ॥श्रीगणेशाय नमः॥ नत्वा नारायणं देवं दृष्टवा ग्रंथाननेकशः॥ बालबोधाय वर्षस्य लिख्यते भावसंग्रहः । १ अथ राशिस्वरूपं उक्तं च वामनताजिके ॥ फले राशिग्रहाधीनं सर्वेषां प्राणिना यतः ॥ अतो मेषादिराशीनां स्वरूपं प्राइनिरूप्यते ॥२॥etc. Ends - fol. 546 एक १ शून्यत्रिकं चैव ३० द्वि २ शून्यं त्रिकमेव च ॥३०॥ रुप १पंच युगाश्चैव ४५ वेदशन्यगुणस्तथा ॥३०॥ वेदशून्यं च जीवस्य वेद पंचाब्धिमंदयक। भब्धि ४ पंचेंदु ५ शून्यं भृगो ज्ञेयं इति मानमुदाहृतम् ॥ तस्य फलं क्रमाज्ञेयं प्राप्ते भावानुसारितः॥ वालावलाऽनुमानेन फलं ज्ञेयं विचक्षणैः॥ इति संग्रहभावाब्दसागरे बहवो मतानुसारेण अब्दादिफलं समाप्तम् विशेषफलं अन्यग्रंथे॥ ॥ सं १२ ॥ शंकुहतेष्टं छायामध्यछायान्वितो भवेद्वार । शंकुहते च दिनार्द्ध हा रविभक्ते च भवेत्काल १ .. दशगुणितं द्वादशभिर्भक्तं ॥ जी नक्षत्रको सूर्य होय ती नक्षत्रकानी चला अंकमासप्रवेशका वारादिक इष्टम जोडिजें सो दिनप्रवेश होय दिनप्रवेशसारणी Then follows a Kostaka. This is the only Ms. recorded by Aufrecht. भावसप्ततिका No. 829 Size -98 in. by 41 in.. Bhāvasaptatikā 884 1891-95

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