Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
________________
Jyotiga
313
542
मकरन्दविवरण
Makarandavivarana No. 848
1875-76 Size — 79 in. by 4} in. Extent - 10 to 11a leaves ; 14 lines to a page ; 28 letters to a line. Description-Country paper; Devanagari characters; old in appear.
ance; handwriting uniform but not quite clear; red ink used for topical beadings and verse-numbers; yellow pigment used for corrections%3 complete.
The Ms. contains two more works viz:
मकरन्दपश्चागविधि and सर्वार्थचिन्तामणि. Age - Samvat 1781. Author -Divakara son of Nrsimha.
Begins - fol. 1a
ॐ ॥ श्रीगणेशाय नमः॥ प्रज्ञा यतः प्राप्य कृतप्रतिज्ञं । स्पर्धा विधत्ते ... सभं प्रतिज्ञं ।। अक्षोपि तं श्रीशिवनामधेयं । गुरूपमं स्वीयगुरुं भजेयं ॥१॥ श्रीमच्छिवात्समधिगम्य वरप्रसादं । वृत्तांशुभिर्विवरणाभिनवारविंदं । तत्तहिवाकरविकासितमार्यवयं । भुंगा भजति मकरंदपिपासवो जे
॥२॥etc. Ends-fol. 11a
इति राजादि निर्णयस्समाप्त पर्वादिपद्यप्रतिपादनेन पुरातनोक्तादपि सद्विशेष . नृनंदनोक्तान्नरसिंहसुनुप्रणीतमंगीकरणीयमार्यैः ॥ ३९॥ बालोचितेपि बहुसुंदरविस्त्रतार्थे तुष्टिं भजंतु सुहृदो गतमत्सरा ये आकस्मिकं खलु सतां हृदयेषु लग्नं सौल्यानि पंजरशुकस्य वचस्तनोति ॥ १४०॥
इति श्रीसकलागमसार्वभौमश्रीकृष्णदैवज्ञसुतनृसिंहस्य सुतेन दिवाकरेण
विरचितं मकरंदविवरणं समाप्त ॥ श्री॥ श्री Reference - See No. 171/A1883-84.
Page Navigation
1 ... 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364