Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 310
________________ Jyotiga दुर्जना बोधजननी सुजनानंदकारिणी । चंद्रयुक्तेव रजनी भ्यात्यसौ शिशुबोधिनी ॥ ५ । etc. fol. 40 इति अनिरुद्ध विरचितायां शिशुबोधिन्यां भास्वतीटीकायां प्रथमोल्हासः 119 11 Ends (Text) - fol. 22a Ends (Comm.) ग्राह्यो न पडींद्रस ६ संगुणाच्च खपंचयुकू ५० खंडफलं विमई । हीनं धनं पव्वणि चंद्रभान्वोर्निमीलनोन्मीलननाडिका स्युः । ५ । Age — - fol. 22a तया काल इत्यर्थः हीने पवते निमीलनकाले युक्तः पवते पुनरुम्मीलनकाल इति व्याख्यातमिदं स्वरशशिशक्र १४१७ समेम॑ते सकलं नृपकाले स्वयुबहुलपक्षे प्रतिपद्युतशनिवारे निरुद्ध विदुषा समापिता टीका । खनयनतिथिवत्सरके १५२० । महति कुले यन्मभेभवद्विदुषाम् शशिगुणवर्षेण मया विमली शिशुबोधिनी रचिता ॥ इति श्री मिश्रभावशम्र्मात्मज अनिरुद्ध विरचितायां शिशुबोधिन्यां भास्वतीटीकायामष्टमोल्हासः ॥ छ ॥ शुभं भवतु ॥ श्रीशांति चंद्रवाचक | वरांतिषन्तेजचंद्र विबुधेन । गणिहेमचंद्रसजुषा । चित्कोशे सौप्रतिर्मुमुचे ॥ १ ॥ Reference — Mss. Aufrecht's Catalogus Catalogorum :- i, 4120. For this Comm. see R. G. Bhandarkar's Report for 1883-84 p. 82. 299 भास्वतीविवरण No. 836 Size - 133 in by 62 in. Extent - 44 leaves ; 15 lines to a page; 35-36 letters to a line. Description • - Samvat 1861. Bhāsvativivaraṇa 540 1875-76 Thin country paper; Devanagari characters; old in appearance; handwriting bold, clear and uniform; borders not ruled; red pigment used for marking the portion; folios numbered in both margins; edges slightly worn out; fol. 43 missing; incomplete.

Loading...

Page Navigation
1 ... 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364