Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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मासाद्वादशवर्षं विकला लिप्तांशराशिभगणांतः ॥ क्षेत्रविभागस्तुल्यकालेन विनाडिकाद्येन । etc.
Begins abruptly ( Comm. ) – fol. 2a
Vedangas
......क्षे श्राद्धं कुर्वीतेत्यादि स्मृतिवाक्यान्यपि योज्यानि । अथैवमुच्यते । एषाह संवत्सरस्य प्रथमा रात्रिर्या फाल्गुनी पूर्णिमा सीयोत्तरैषोत्तमा या पूर्वा । एतदपि चेदवाक्यमिति । etc.
fol. 380 इति चतुर्वेदश्री पृथूदकस्वामिकृते सिद्धांतभाष्ये मध्यगत्यध्यायः समाप्तः
॥ छ ॥
Ends - fol. 246
• ग्रहोदयास्तमयना डिकाद्येषु । अध्यायोभग्रह .. श्रीब्रह्मसिद्धांतवासनाभाष्ये भट्टमधुसूदनसुत चतु ध्यायो दशमः समाप्तः ॥ छ ॥ ग्रंथशतैश्चतुभि ग्रंथसंख्या ४५० ।। पृथुस्वामिश्चतुर्वेदश्चक्रे • सगोलमधुनंदनः ॥ १ ॥ अध्यर्द्धेन सहस्रेण पूर्व गोला मध्यायदशकं ततः ॥ २ ॥ छ ॥ श्रीः ॥ श्रीरस्तु ॥ शुभ । यादृशं दृष्टं तादृशं लिखितं मया ॥ यदि शुद्धमशु ........... समुद्रो यावन्नक्षत्रमंडितो मेरुः । यावच्चं ...... 11 aft: 11 eft: 11 संवत् १५९५ वर्षे भाद्रपदशुदि ५ गुरौ श्रीनारायणप्रसादाद्दीर्घा - युष्मान्भवतु
- Samvat 1559.
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References - Mss. - A-Aufrecht's Catalogus Catalogorum :- i, 3836; ii, 868. Bhār. Jyo. p. 222.
B-Descriptive Catalogues : - I. O. Cat. 2769.
Age
Author - Damodara.
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भटतुल्य करणग्रन्थ
No. 825
Size - 7 in by 4g in.
Extent 25 leaves; 11 lines to a page; 24 letters to a line.
Description - Rough Country paper; Devanagari characters with पृष्ठमात्रा 's; very old in appearance; handwriting clear, legible and uniform; borders ruled in double black lines; edges worn out; slightly moth-eaten; complete.
Bhatatulya Karaṇagrantha
346 1882-83
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