Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

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Page 281
________________ 270 Vodangas in two double red lines and edges in single; red ink used for colophons and daņdas; folios numbered in both margins ; edges of some of the folios worn out; the Ms. contains 1-105 Adhyāyas. Age - Appears to be old. Author-Varahamihira. Subject - Jyotisa. Begins - fol. 10 ॥श्रीगणेशाय नमः॥ जयति जगतः प्रसूतिविश्वात्मसहजभूषणं नभसः ॥ etc. , fol. 1b इति श्रीवराहमिहिरकृतो संहितायां शास्त्रोपनयनाध्यायः प्रथमः ॥छ॥ fol. 30 इति आचार्यमिहरविरचितायां संहितायां संवत्सरसूत्रं नामाभ्यायो द्वितीयः ॥छ॥ Ends - fol. 1050 पुंस्काकिलसमवाणी ताम्रोष्टी पद्मवर्णकरचरणा। स्तनभारनमितमध्या प्रदक्षिणावर्त्तयानाभ्या ॥ ११ ॥ कदलीकांडनिभोरुः। शुश्रोणीचरककुंदरा सुभगाः॥ सुश्लिष्टांगुलिपादा भवति प्रमदा मनुष्यो वा ॥१२॥ प्रलंबबाहः पृथुपीनवक्षाः क्षिपाकरस्यास्मितचारुदतः ॥ गजेंद्रगामी कमलायताक्ष्यः ॥ स्त्रीचित्तहारी मरतुल्यमूर्तिः ॥ १३॥ इति ॥ इत्याचार्यश्रीवराहमिहिरकृतौ संहितायां नक्षत्रपुरुषो नाम पंचधिकशततमोऽध्यायः ॥ श्रीः।। श्री समाप्ता चेयं ज्योतिषशास्त्रसंहिताः॥ ज्योतिः शास्त्रसमुद्रं प्रमथ्यामंदराद्रिणेव मया लोकस्यालोककरः । शास्त्रशशांकः समुक्षिप्तः ॥१॥ ॥ श्रीरस्तु॥ कल्याणमस्तुः ॥श्रीः। Reference:- See No. 347/1880-81. पृहत्संहिता or बाराहसंहिता No. 812 Size — 124 in. by 47 in. Bphatsambitā or Vārāhasamhita 548 1875-76

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