Book Title: Choubis Tirthankar Part 02
Author(s): 
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 3
________________ समवशरण से लौटकर महाराज भरत ने पहले चक्र रत्न की पूजा की याचकों को इच्छानुसार दान देते हुए पुत्रोत्सव मनाया। फिर दिग्विजय यात्रा की तैयारी करने लगे । शुभ मूहर्त में प्रस्थान किया। अनेक हाथी, घोड़े एवं प्यादों से भरी हुई सम्राट की सेना बहुत प्रभावशाली मालूम होती थी। अयोध्यापुरी से निकलकर प्रकृति की शोभा निहारती मैदान में द्रुत गति से जाने लगी थी। बीच-बीच में अनेक अनुयायी राजा अपनी सेना सहित राजा भरत के साथ आ मिलते थे। सेना नदी की भांति उत्तरोत्तर बढती जातीथी। चौबीस तीर्थंकर भाग-2 चित्रांकन : बने सिंह Byाछ 5600000000 5600000000००० oodado49 Heulichy STOM Wat जैन चित्रकथा

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