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पर्याय ]
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है ? इसीप्रकार सभी गुणों के विषय में जानना चाहिए । 'गुणपरिणति' गुणमय होती है ।
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शंका परिणति के गुण के द्वारा उत्पन्न होती है, यह गुण की है या द्रव्य की ? यदि गुण की है तो गुण अनन्त हैं, अतः परिणति भी अनन्त होनी चाहिए और यदि द्रव्य की है तो उसे 'गुणपरिणति' क्यों कहते हैं ?
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समाधान:- परिणमनशक्ति द्रव्य में है और द्रव्य गुण का पुञ्ज है, वह अपने गुणरूप स्वयमेव परिणमन करता है, अतः गुणमय परिणमते हुए द्रव्य को 'गुण-पर्याय' कहते हैं, इसलिये यह तो कहा जा सकता है कि जो द्रव्य की परिणति है, वही गुण की भी परिणति है, परन्तु यह परि
मनशक्ति द्रव्य से उत्पन्न होती है, गुण से नहीं । इसका प्रमाण तत्त्वार्थ सूत्र में दिया है - " द्रव्याश्रया निर्गुणा गुणा: " द्रव्य के आश्रय से गुण हैं, गुण के श्राश्रय से गुण नहीं । गुणपर्ययवद् द्रव्यम् " - यह भी कहा है तथा पर्यायवन्त द्रव्य को ही कहा है गुण को नहीं ।
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शंका :- यहाँ कोई प्रश्न करता है कि सूक्ष्मगुण की पर्याय ज्ञानसूक्ष्म है; इसीप्रकार सभी गुणसूक्ष्म हैं, परन्तु गुणों में यह सूक्ष्मता सूक्ष्मगुण की है अथवा द्रव्य की है ? यदि द्रव्य की है तो सूक्ष्मगुण की अनन्त पर्यायें क्यों कही