Book Title: Chidvilas
Author(s): Dipchand Shah Kasliwal
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

View full book text
Previous | Next

Page 114
________________ ११० ] [ चिविलास धारण करता है, उनमें सम्पूर्णता है । तथा सब गुण सुक्ष्म हैं, अतः सम्पुर्णता करने पर जितने प्रदेश कहे हैं, उनमें से सूक्ष्मगुण को भी पृथक् नहीं कह सकते, क्योंकि इसतरह पृथक् कहने पर गुरण के खण्ड हो जायेंगे, अतः अभेद प्रकाश है, उसमें भेद और अंश कल्पना होने पर भी अभेद है। प्रदेश अवयवों का पुञ्ज है, यह एक वस्तु की सिद्धि करता है । इन प्रदेशों में सर्वज्ञत्वशक्ति एवं सर्वशित्वशक्ति है । ये प्रदेश अपने यथावत् स्वभावरूप हैं, अतः तत्त्वशक्ति को धारण करते हैं और परप्रदेश म्हप नहीं होते, अत: प्रतत्त्वशक्ति को धारण करते हैं। तथा जड़तारहित होते हैं, अतः चैतन्य शक्ति को धारण करते हैं। इसीप्रकार प्रदेश अनन्त शक्तियों को धारण करते हैं। प्रदेशशक्ति अनन्त महिमा को धारण करतो है । द्रव्य-गुण-पर्याय का विलास सत्ता के आधार से सब द्रव्य-गरण-पर्याय हैं, अतः सब द्रव्य-गुण-पर्याय के रूप का विलास सत्ता ही करती है । शंका:- सत्ता तो 'है' (अस्ति रूप) लक्षण को धारण करतो है, वह विलास कैसे कर सकती है ? समाधान :- द्रव्य का विलास द्रव्य करता है, गुण का विलास गुण करता है और पर्याय का विलास पर्याय करती - LAR.

Loading...

Page Navigation
1 ... 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160