Book Title: Char Tirthankar Author(s): Sukhlal Sanghavi, Shobhachad Bharilla, Bhavarmal Singhi, Sagarmal Jain, Dalsukh Malvania Publisher: Parshwanath Vidyapith View full book textPage 5
________________ निवेदन (प्रथम संस्करण) पूज्य पंडित श्री सुखलालजी के लेखों का प्रथम संग्रह 'धर्म और समाज' के नाम से प्रकाशित हो गया है। भगवान् ऋषभदेव, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर इन चार प्रसिद्ध जैन तीर्थकरों के विषय में ऐतिहासिक और तुलनात्मक दृष्टि से पूज्य पंडित जी ने अभी तक जो व्याख्यान या लेख रूप में लिखा है उनमें से चुनकर यह पुस्तक 'चार तीर्थंकर' नाम से प्रकाशित की जा रही है । पंडितजी की असांप्रदायिक और विचारप्रेरक दृष्टि की छाप वाचक को प्रत्येक पंक्ति में मिलेगी। अभी तक तीर्थंकरों के विषय में वाचक ने जो सोचा होगा उसमें परिमार्जन का नया रास्ता इन लेखों में से वह पाएगा ऐसा मेरा विश्वास है। प्रस्तुत संग्रह में से प्रथम और चतुर्थ का हिन्दी अनुवाद करने के लिए श्री भंवरमलजी सिंघी और पं० शोभाचन्द्रजो भारिल्ल का तथा मूल गुजराती-हिन्दी लेखों व व्याख्यानों के प्रकाशकों का मैं आभारी हूँ। भगवान् पार्श्वनाथ विषयक लेख पंडितजी ने अभी हाल में ही लिखा है और वह आगामी ओरिएन्टल कॉन्फरेंस के अहमदाबाद के अधिवेशन में पढ़ा जायेगा। ___संग्रह छापने की अनुमति के लिए मैं पंडित जी का आभारी हूं दलसुख मालवणिया. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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