Book Title: Bharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Author(s): Shalibhadrasuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ [२] भारतीय विद्या अनु पूर्ति [वर्ष २ विद्वानोए पोषेली गुजराती भारतीना भंडोळनो केटलोक नवीन परिचय, गुजराती साहित्य परिषद् आगळ निबंधरूपे उपस्थित कर्यो हतो अने नरसिंह महेता करतां पण बहु पहेला अनेक जैन विद्वानो थई गया जेमणे गुजराती भाषामां घणी रचनाओ करी छे -- एबुं बताववा प्रयत्न कर्यो हतो। पण ए प्रयत्नमां काईक तो सांप्रदायिक अनुराग विशेष देखातो हतो, अने बीजं तेमा मौलिक साहित्यना अवलोकननो अभाव जणातो हतो, तेथी विद्वानोमा ए विशेष आदरणीय न बन्यो। ___स्व. श्रीमनःसुखलाल कीरतचंद महेताना ए विषेना उपयोगी सूचनवाळा निबंधना अवलोकनथी, मने पण ए विषयमां कांईक रस पेदा थयो, अने तेथी उक्त पूज्य मुनिवरोना वात्सल्यपूर्ण अने विद्यावर्द्धक अन्तेवास तेम ज प्रोत्साहनथी, पाटण अने वडोदरा आदिना भिन्न भिन्न भंडारोमां रक्षाएली अने छुपाएली विशाळ ग्रंथराशिनो यथेष्ट परिचय मेळववानो इष्टतम सुयोग प्राप्त थतां, में पण प्राचीन गुजराती साहित्यनां अन्वेषण, अवलोकन अने संपादन आदि करवामां यथाबुद्धि प्रयत्न करवा मांड्यो।। __ सौथी प्रथम, ई. स. १९१२-१३ मां, में प्राचीन भाषा साहित्य अवलोकवा अने संग्रहवा मांड्यु । पाटणना एक भंडारमा कागळनी एक प्राचीनतम हस्तलिखित प्रति मारा जोवामां आवी जे संवत् १३५७-५८मां लखेली हती अने जेमां प्रतिक्रमण सूत्र आदि अनेक प्रकीर्ण कृतिओनो संग्रह हतो. तेमां संस्कृत - प्राकृत- अपभ्रंश आदिमां रचाएली नानी मोटी अनेक कृतिओ उपरांत, सर्वतीर्थ नमस्कार अने नमस्कार व्याख्यान आदि गुजराती गद्य लेखो, तथा विनयचंद्र सूरिकृत नेमिनाथ चतुष्पदिका आदि पद्य कृतिओ पण लखेली मारा जोवामां आवी । एमांनी नेमिनाथ चतुष्पदिका के जे एक तो शुद्ध एवी प्राचीन गुजरातीमां रचाएली हती, अने बीजुं तेमांनुं वर्णन बे सखीओना बारमासना संवादरूपनुं हतुं, तेथी भाषा अने कविता-बंने दृष्टिए एनी रचना मने उपयोगी लागी अने तेथी ते वखते प्रसिद्ध थता, जैनश्वेतांबर कॉन्फरन्स हेरल्डना सने १९१३ना 'पर्युषणा' अंकमां में तेने प्रसिद्ध करावी । माणिक्यचन्द्र सूरि कृत गद्य पृथ्वीचंद्र चरितनी मूल प्रति पण ए ज समये मारा अवलोकवामां आवी । गुजराती गद्यना एक उत्तम संदर्भ अने अभ्यसनीय प्रबंध तरीके मने तेनी विशिष्टता जणाई अने तेथी तेने प्रसिद्ध करवानी दृष्टिए तेनी अविकल नकल में मारा हाथे करी लीधी । आ रीते गुजराती Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38