Book Title: Bharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Author(s): Shalibhadrasuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya
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[ वर्ष २
१४] भारतीय विद्या - अनुपूर्ति छ
चांपीय चुरई नरकरोडि भूयबलि भय भिरडई, विण हथीयार कि वार एक दांतिहिं दल करडई । चालई चालि चम्माल चाल करमाल ति ताकइं, पडइं चिंध झूझई कबंध सिरि समहरि हाकई ॥ रुहिर रल्लि तहिं तरइं तुरंग गय गुडीय अमूंझइ, राउत रण रसि रहित बुद्धि समरंगणि सूझई । पहिलइ दिणि इम झूझ हर्बु सेनह मुखमंडण, संध्या समइ ति वारणुं ए करई भट बिहुँ रण ॥
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ठवणि १२. हिवं सरस्वती धउल
तउ तहिं बीजए दिणि सुविहाणि, ऊठीउ एक जि अनलवेगो, सडवड समहरे वरसए बाणि, छयल सुत छलीयए छावडु ए । अरीयण अंगमइ अंगोअंगि, राउतो रामति रणि रमई ए, लडसड लाडउ चडीय चउरंगि, आरेयणि सयंवर वरई ए॥ १४४
त्रूटक-वर वरई सयंवर वीर, आरेणि साहस धीर ।
मंडलीय मिलिया जान, हय हीस मंगल गान । हय हीस मंगल गानि गाजीय, गयण गिरि गुह गुमगुमई, धमधमीय धरयल ससीय न सकइ, सेस कुलगिरि कमकमई। धसधसीय धायई धारधा वलि, धीर वीर विहंडए, सामंत समहरि, समु न लहई, मंडलीक न मंडए ।
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धउल-मंडए माथए महीयलि राउ, गाढिम गय घड टोलवए,
पिडि पर परबत प्राय, भडधड नरवए नाचवइ ए। काल कंकोलए करि करमाल, झाझए झूझिहिं झलहलइए, भांजए भड घड जिम जम जाल, पंचायण गिरि गडयडए ॥ १४६
त्रूटक-गडयडई गजदलि सीहु, आरेणि अकल अबीह । . धसमसीय हयदल धाई, भडहडई भय भडिवाइ ॥
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