Book Title: Bharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Author(s): Shalibhadrasuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya

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Page 30
________________ अंक १] भरतेश्वर-बाहुबली रास [१७ समरबंध अनइ वीरह वंध, मिलीउ समहरि बिहुँ सिउं बंध । सात मास रहीया रणि वेउ, गई गहगहीया अपछरा लेउ ॥ १६५ सिरताली दुरीताली नामि, भिडई महाभड बेउ संग्रामि । आव्या बरवहं बाथोबाथि, परभवि पुहता सरसा साथि ॥ १६६ महेन्द्रचूड रथचूड नरिंद, झूझई हडहड हसइं सुरिंद । हाकई ताकइंतुलपइंतुलई, आठि मासि जई जिमपुरि मिलई ॥ १६७ दंड लेई घसीउ युरदादि, भरतपूत नरनरइ निनादि । गंजीउ बलि बाहूवलितणउ, वंस मल्हाविउ तीणि आपणु ॥ १६८ सिंहरथ ऊठीउ हाकंत, अमितगति झंपिउ आवंत ।। तिनि मास धड धूजिउ जास, भरह राउ मनि वसिउ वासु ॥ १६९ अमिततेज प्रतपइ तहिं तेजिं, सिउं सारंगिई मिलिउ हेजि । धाइं धीर हणई बे बाणि, एक मासि नीवड्या नीयाणि ॥ १७० कुंडरीक भरहेसरजाउ, जस भड भडत न पाछउ पाउ । द्रठडीय दलि बाहूबलि राय, तउ पयपंकइ प्रणमीय ताय ॥ १७७ सूरिजसोम समर हाकंत, मिलिया तालि तोमर ताकत । पांच वरिस भर भेलीय घाइ, नीय नीय ठामि लिवारिआराइ॥१७२ इकि चूरई इकि चंपई पाय, एकि डारइं एकि मारई धाइ । झलझलंत झूझइ सेयंस, धनु धनु रिसहेसर, वंस ॥ सकमारी भरहेसरजाउ, रण रसि रोपइ पहिलउ पाउ । गिणइ न गांठइ गजदल हणइ, रणरसि धीर धणावइ धणइ ॥ १७४ वीस कोडि विद्याधर मिली, ऊठिउ सुगति नाम किलिगिली । सिवनंदनि सिउं मिलीउ तालि, बासठि दिवसि बिहुँ जम जालि॥१७५ कोपि चडिउ चलिउ चक्रपाणि, मारचं वयरी बाणविनाणि । मंडी रहिउ बाहुबलि राउ, भंजउं भणइ भरह भडिवाउ ॥ १७६ बिहुँ दलि वाजी रणि काहली, खलदल खोणि खे खलभली । धूजई घसकीय धड थरहरई, वीर वीर सि सयंवर वरइं॥ १७७ उडीय खेह न सूझइ सूर, नवि जाणीइ सवार असूर । पडई सुहड धड धायई धसी, हणई हणोहणि हाकई हसी ॥ १७८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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