Book Title: Bharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Author(s): Shalibhadrasuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya

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Page 29
________________ १६] भारतीय विद्या अनुपूर्ति [वर्ष २ धउल-कलगिलइ चक्रधर सेन संग्रामि, बोलए कवण सु बाहुबले, तउ पोयणपुर केरउ सामि, बरवहं दीसए दस गणु ए । कवण सो चक्क रे कवण सो जाख, कवण सु कहीइ ए भरह राउ । सेन संहारीय सोधउं साष, आज मल्हावर्ड रिसहवंसो॥ १५२ ठवणि १३. हिवं चउपई चंद्रचूड विज्जाहर राउ, तिणि वातई मनि विहीय विसाउ । हा कुलमंडण हा कुलवीर, हा समरंगणि साहसधीर ॥ १५३ कहीइ कहि नई किसिउं घj, कुल न लजावित्रं तइं आपणउं । तइं पुण भरह भलाविउ आप, भलु भणाविउ तिहूयणि बापु ॥१५४ सु जि बोलइ बाहूबलि पासि, देव म दोहिलुईं हीइ विमांसि । कहि कुण ऊपरि कीजइ रोसु, एह जि दैवहं दीजइ दोसु ॥ १५५ सामीय विसमु करम विपाउ, कोइ न छूटइ रंक न राउ । कोइ न भांजइ लिहिया लीह, पामइ अधिक न ओछा दीह ॥१५६ भंजउ भूयबलि भरह नरिंद, मई सिउं रणि न रहइ सुरिंद । इम भणि बरवीय बावन वीर, सेलइ समहरि साहस धीर ॥ १५७ धसमस धीर धसई धडहडई, गाजइ गजदलि गिरि गडयडइं। जसु भुइ भडहड हडइ भडक, दल दडवडइ जि चंड चडक ॥ १५८ मारइ दारइ खल दल खणइ, हेड हणोहणि हयदल हणइ, अनलवेग कुण कुखई अछइ, इम पचारीय पाडइ पछइ॥ १५९ नरु निरुवइ नरनरइ निनादि, वीर विणासइ वादि विवादि । तिनि मास एकल्लउ भिडइ, तउ पुण पूरसं चक्कह चडइ ॥ १६० चऊद् कोडि विद्याधर सामि, तउ झूरइ रतनारी नामि । दल दंदोलि दउढ वरीस, तउ चक्किइं तसु छेदीय सीस ॥ १६१ रतनचूड विद्याधर धसइ, गंजइ गयघड हीयडइ हसइ । पवनजय भड भरहु नरिंद, सु जि संहारीय हसई सुरिंद ॥ १६२ बाहुलीक भरहेसरतणु, भड भांजणीय भिडीउ घणु । सुरसारी बाहूबलिजाउ, भडिउ तेण तहिं फेडीय ठाउ ॥१६३ अमितकेत विद्याधर सार, जस पामीइ न पौरुष पार । चल्लीउ चक्रधर वाजइ अंगि, चूरिउ चक्रिहिं चडिउ चउरंगि॥ १६४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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