Book Title: Bharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Author(s): Shalibhadrasuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya

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Page 37
________________ [वर्ष २ २४] भारतीय विद्या अनुपूर्ति राषे घरि बि' बारणां ए, ऊधत राषे नारि । ईंधणि कातणि जलवहणि, होइ सछंदाचारि ॥ षटकसाल पांचइ तणीय, जयणा भली करावि । आठमि चउदसि पूनीमिहि, धोयणि गारि वरावि ॥ [+ अणगल जल मन वावरू ए, जोउ तेहनउ व्याप। आहेडी मांछी तणूं ए, एक चलुं ते पाप ॥ लोह मीण लष धाहडी य, गली य चरम विचारि । एह सविनूं विवहरण, निश्चउ करीय निवारि ॥ सुइमुहि जेतुं चांपीह ए, जीव अनंता जाणि। कंद मूल सवि परहरु ए, धरम म न करइ हाणि ॥ रयणी भोजन म न करिसि, बहूय जीव सिंहार। सो नर निश्चइ नरयफल, होसिइ पाप प्रमाणि ॥] जांत्र जोत्र ऊषल मुशल, आपि म हल हथीयार । सई हथि आगि न आपीइ ए, नाच गीत घरबारि ॥ पाटा पेढी म न करसे, करसण नइ अधिकारि । न्याई रीतिइं विवहरु ए, श्रावक एह आचार ॥ वाच म घालिसि कुपुरसह, फूटइ मुहि महसेसि । बहुरि म आस पिराईह, बहु ऊधारि म देसि ॥ वइद विलासणि दूइडीय, सुइआणीसु संगु । राषे बहिनर वेटडी य, जिम हुइ शील न भंगु॥ गुरु उपदेसिइ अति घणा ए, कहूं तु लहुं न पार । एह बोल हीयडइ धरीउ, सफल करे संसार । सालिभद्रगुरु संकुलीय, सिविहूं गुर उपदेसि । पढइ गुणइ जे संभलहिं, ताहइ विघ्न टलेसि ॥ ॥ इति बुद्धिरास समाप्तमिति ॥ १ पा. 'बहु'। २ पा० 'तीह सवि टलइ किलेस तु। आ कोष्ठक बच्चे आपेली ४ कडीओ सौथी जूनी प्रतिमां नथी मळती । बीजी बीजी प्रतोमां आ बधी आडी अवळी अने वधती ओछी संख्यामां मळे छ । एमांना वर्णन उपरथी ज जणाय छे के ए पाछळनो थएलो उमेरो छे. मूळ कर्तानी कहेली नथी । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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