Book Title: Bharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Author(s): Shalibhadrasuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya

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Page 35
________________ २२] भारतीय विद्या अनुपूर्ति [वर्ष २ गुरुयां उपरि रीस न कीजइ,' सीष पूछतां कुसीष म देजे। . विणउ करंतां दोस नवि ॥ २७ म करिसि संगति वेशासरसी, धण कण कूड करी साहरसी । मित्री नीचिइ सि म करे ॥ २८ थोडामाहि थोडेरुं देजे, वेला लाधी कृपणु म होजे । गरव म करीजे गरथतणुं ॥ व्याधि शत्रु ऊठतां वारउ, पाय ऊपरि कोइ म पचारु । ___ सतु म छेडिसि दुहि पडीउ ॥ ३० अजाण्यारहि पद म थाए, साजुण पीड्यां वाहर धाए । मंत्र म पूछिसि स्त्री कन्हए ॥ ३१ अजाणि कुलि म करि वीवाहो, पाछइ होसिई हीयडइ दाहो। ____ कन्या गरथिइ म वीकणसे ॥ ३२ देिव म भेटिसि ठालइ हाथि, अणउलषीतां म जाइसि साथिई । गूझ म कहिजे महिलीयह ॥ ३३ पिरहुणइं आव्यइ आदर कीजई, जूनुं ढोर न कापड लीजई। हूतइ हाथ न खांचीइए ॥ ३४ गाढई घाई ढोर म मारउ, मातइ कलहि म पइसि निवारु ।। पर घरि मा जिमसि जा सकूया ॥ ३५ भगति म चूकीसि बापह मायी, जूठउ चपल म छंडिसि भाई। गुरवु म करि गुरु सुहासिणी य ॥ ३६ नीपनई धानि म जाइसि भूषिउ, गांठि गरथि म जीविसि लूषउं । मोटां पातक परहरउ ए ॥ ३७ गिउ देशांतरि सूयसि म रातिइ, तिम न करे जिम टल पांतिई। तृष्णा ताणिउ म न वहसे ॥ ३८ धणि फीटई विवसाई लागे, आंचल उडी म साजण मागे। कुणहइ कोइ न ऊधरीउ॥ १ पाठान्तर-'गरुआसिउं अभिमान न कीजउ' । + आ कडीओ बीजी बीजी प्रतोमा आगळ पाछळ लखेली मळे छ, तेम ज वधती ओछी पण मळे छ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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