Book Title: Bharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Author(s): Shalibhadrasuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya
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भंक १]
भरतेश्वर-बाहुबली रास [९ अवर अठाणूं जु जई पहिलं, मिलसिई तु तुझ मिलिउं न सयलु। कहि विलंब कुण कारणि कीजइ, माम म नीगमि वार वलीजइ॥१०० वार वरापह करसण फलीजइ, ईणि कारणि जई वहिला मिलीइ। जोइ न मन सिउं वात विमासी, आगइ वारूअ वात विणासी॥ १०१ मिलिउ न किहां कटक मेलावइ, तउ भरहेसर तइं तेडावइ । जाण रपे कोइ झूझ करेसिइ,सहू कोइ भरह जि हियडइ धरेसिइ॥१०२ गाजंता गाढिम गज मीम, ते सवि देसह लीधा सीम । भरह अछइ भाई भोलावउ, तउ तिणि सिउ न करीजइ दावउ ॥ १०३
वस्तु-तव सु जंपइ, तव सु जपइ, बाहुबलि राउ;
अप्पह बाह भजां न बल, परह आस कहइ कवण कीजह । सु जि मूरष अजाण पुण, अवर देषि बरवयइ ति गज्जइ । हुं एकल्लउ समर भरि, भड भरहेसर घाइ । भंज भुजबलि रे मिडिय, भाह न भेडि न थाइ ॥ १०४
ठवणि ८. जइ रिसहेसर केरा पूत, अवर जि अम्ह सहोयर दूत ।
ते मनि मान न मेल्हई कीमई, आलईयाण म झंषिसि ईम्हइ ।। १०५ परह आस किणि कारणि कीजइ, साहस सइंवर सिद्धि वरीजइ । ही अनइ हाथ हत्थीयार, एह जि वीर तणउ परिवार ॥ १०६ जइ कीरि सीह सीयालिइं खाजइ, तु बाहुबलि भूयबलि भाजइ ।
जु गाई वापिणि पाई जइ, अरे दूत तु भरह जि जीपइ ॥ १०७ ठवणि ९. जु नवि मनसि आण, बरबहं बाहूबलि । लेसिइ तु तूं प्राण, भरहेसर भूयबलि ॥
१०८ जस छन्नवइ कोडि छई पायक, कोडि बहुत्तरि फरकई फारक । नर नरवर कुण पामइ पारो, सही न सकीइ सेनाभारो॥ १०९ जीवंता विहि सहू संपाडइ, जु तुडि चडिसि तु चडिउ पवाडइ । गिरि कंदरि अरि छपिउ न छूटइ, तूं बाहूबलि मरि म अखूटइ॥११० गय गदह हय हड जिम अंतर, सीह सीयाल जिसिउ पटंतर । भरहेसर अन्नहतूंय विहरउ, छुटिसि किम्हइ करंत न निहरु॥ १११
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