Book Title: Bharateshwar Bahubali Ras tatha Buddhiras
Author(s): Shalibhadrasuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya

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Page 24
________________ १२१ अंक १] भरतेश्वर-बाहुबली यस [११ गडयडंत गय गडीय गेलि गिरिवर सिर ढालई, गूगलीया गुलणइ चलंत करिय ऊलालई ।। जुडइं मिडई भडहडई खेदि खडखडई खडाखडि, घाणीय घूणीय धोसवई दंतूसलि दोत[तडा]डि । खुरतलि खोणि खणंति खेदि तेजीय तरवरिया, समइं घसई धसमसइं सादि पय सई पापरिया ॥ १२२ कंधग्गल केकाण कवी करडई कडीयाली, रणणई रवि रण वखर सखर घण घाघरीयाला । सींचाणा वरि सरई फिरई सेलई फोकारई, उडई आडई अंगि रंगि असवार विचारई ॥ धसि धामइं धडहडइं धरणि रथि सारथि गाढा । जडीय जोध जडजोड जरद सनाहि सनाढा । पसरिय पायल पूर कि पुण रलीया रयणार । लोह लहर वरवीर वयर वहवटिइं अवायर ॥ रणणीय रवि रण तूर तार त्रंबक त्रत्रहीया, ढाक ढुक ढम ढमीय ढोल राउत रहरहीया । नेच नीसाण निनादि नींझरण निरंभीय, रणभेरी भुंकारि भारि भूयबलिहिं वियंमीय ।। चल चमाल करिमाल कुंत कडतल कोदंड, झलकई साबल सबल सेल हल मसल पयंड । सीगिणि गुण टंकार सहित बाणावलि ताण, परशु उलालई करि घरई भाला ऊलालई ॥ तीरीय तोमर भिंडमाल डबतर कसबंध, सांगि सकति तरुआरि छुरीय अनु नागतिबंध । हय खर रवि उछलीय खेह छाईय रविमंडल, घर धूजइ कलकलीय कोल कोपिउ काहहुल ॥ टलटलीया गिरिटक टोल खेचर खलभलीया, कडडीय कूरम कंधसंधि सायर झलहलीया । १२४ १२५ १२७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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