Book Title: Bhagwan Mahavir Author(s): Chandraraj Bhandari Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 8
________________ को उतारकर हम उन तत्त्वों को देखें जिनके कारण महावीर “भगवान् महावीर" हुए हैं। यदि हम निर्पेक्ष हो बुद्धि को शुद्ध कर महावीर के जीवन के गम्भीर रहस्यों का, उनके उदार और अखण्डनीय तत्वों का अध्ययन करेंगे तो हमें वह उज्वल आनन्द, दिव्य शान्ति और ज्ञान का अलौकिक प्रकाश दिखलाई देगा जो वर्णनातीत है। ___ इस ग्रन्थ के प्रणयन में हमें करीब ५५ छोटे बड़े ग्रन्थों से सहायता मिली है, उन सब के लेखकों के हम कृतज्ञ हैं । सब ग्रन्थों का नामोल्लेख करना यहाँ असम्भव है इसलिए उनमें से कुछ मुख्य २ ग्रन्थों का नाम दे देना आवश्यक समझते हैं। महावीर जीवन विस्तार (गुजराती)। विषिष्ठशाला के पुरुषों का चरित्र (गुजराती)। कल्पसूत्र, आचाराङ्ग सूत्र और उत्तराध्यन सूत्र । महावीर पुराण । कल्पसूत्र उपर निबन्ध (गुजराती)। हर्मनजेकोबी द्वारा लिखित सूत्रों की प्रस्तावना । डाक्टर हार्नल के लिखे हुए जैनधर्म सम्बन्धी विचार । बौद्धपर्व (मराठी)। दैशिक शास्त्र (हिन्दी)। भारतवर्ष का इतिहास ( लाला लाजपतराय)। जैनधर्मनु आहिंसातत्व (गुजराती)। मुक्तिका स्वरूप (हिन्दी सरस्वती से)। जैन साहित्य मा विकार थवा थी थयेली हानि (गुजरातो)। डाक्टर परटोल्ड का धूलिया में दिया हुआ व्याख्यान । जैनदर्शन (मुनि न्यायविजयजी)। प्रवचनसार (कुन्दकुन्दाचार्य)। समयसार ( , ,) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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