Book Title: Bhagwan Mahavir
Author(s): Chandraraj Bhandari
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 7
________________ की भावनाओं को ढूंढने का प्रयत्न करेंगे तो निराश होंगे। क्योंकि जो लेखक साम्प्रदायिकता को देश और जाति की नाशक समझता है उसके ग्रन्थ में ऐसी भावनाओं का मिलना कैसे सम्भव है ? हाँ, जो लोग निरपेक्ष भाव से महावीर के जीवन के रहस्यों को और उनके विश्वव्यापी सिद्धान्तों को जानने के उद्देश्य से इस ग्रन्थ को खोलेंगे तो हमारा विश्वास है कि वे अवश्य सन्तुष्ट होगें। महावीर के जीवन से सम्बन्ध रखनेवाली जितनी सर्वव्यापी बातें लेखक को दिगम्बरी ग्रन्थों से मिली वे उसने दिगम्बरी ग्रन्थों से लीं, श्वेताम्बरी ग्रन्थों से मिली वे उसने श्वेताम्बरी ग्रन्थों से लीं, जितनी बौद्ध ग्रन्थों से मिलीं वे बौद्ध ग्रन्थों से ली, और जितनी अंग्रेजी ग्रन्थों से मिली वे अंग्रेजी ग्रन्थों से ली हैं। जो जो बातें जिस ढङ्ग से उसकी बुद्धि को मान्य हुई उन्हें उसी ढङ्ग से लिखी हैं । सम्भव है हमारे इस कृत्य से कुछ पाठक नाराज़ हों, पर इसके लिए हम लाचार हैं हमने हमारी बुद्धि के अनुसार जहाँ तक बना महावीर के इस जीवन को उत्कृष्ट और सर्वव्यापी बनाने का प्रयास किया है । हमारे ख़याल से महावीर के जीवन का महत्व इससे नहीं होसकता कि वे ब्रह्मचारी थे या विवाहित, इससे भी उनके जीवन का महत्व नहीं बढ़ सकता कि वे ब्राह्मणी के गर्भ में गये थे या नहीं । महावीर के जीवन का महत्व तो उनके अखण्ड त्याग, कठिन संयम, उन्नत चरित्र और विश्वव्यापी उदारता के अन्तर्गत छिपा हुआ है। उसके पश्चात् उनके जीवन का महत्व उनके विश्वव्यापी और उदार सिद्धान्तों से है। इन्हीं बातों के कारण भगवान् महावीर संसार के सब महात्माओं से आगे बढ़े हुए नज़र आते हैं । इन्हीं बातों के कारण संसार उनकी इजत करता है। हमारा कर्तव्य है कि हम इस सङ्कीर्णता और साम्प्रदायिकता को छोड़ कर-जो कि हमारी जाति और धर्म का नाश करने वाली है-महा. वीर की वास्तविकता को समझने का प्रयत्न करें । पक्षपात के अन्धे चश्में Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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