Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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कभी-कभी माताजी ने दस घंटे का अमूल्य समय भी समर्पित किया और सम्पूर्ण शब्दकोश को।
आगम के परिप्रेक्ष्य में खरा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कठोर आर्यिका चर्या के पालन के साथ माताजी का शब्दकोश के लिए इस लगन और समर्पण के साथ कार्य करना हमको जीवन में हर कार्य की सफलता के लिए परिश्रम की प्रेरणा देता है। ऐसी विदुषी माँ की आध्यात्मिक ऊर्जा निरन्तर वृद्धिंगत होती रहे और अनेकानेक विश्वस्तरीय कार्यों का सृजन करते हुए आप रत्नत्रयी ब्रह्मांड में अमरता को प्राप्त करें, भगवान महावीर से मैं ऐसी अंतरंग प्रार्थना करता हूँ।
___ वाचना के मध्य कई शब्दों की परिभाषाओं में अथवा उनके अंग्रेजी रूपान्तरण में काफी पंथन किया जाता था एवं पूज्य ज्ञानमतः भासानी से पा.- ए! विशा-दिन केमा पूरे वाचना मण्डल की सलाह के निष्कर्ष स्वरूप अर्थ को चयनित किया जाता था। इसी के उदाहरणार्थ जब वाचना के दौरान जैन धर्म और साधुओं से संबंधित बड़ा ही प्रचलित शब्द 'पिच्छिका' का विवेचन आया तब इसका अंग्रेजी रूपान्तरण कहीं पर 'Brush तो कहीं पर Broom of peacock feathers' मिला। लेकिन यह रूपान्तरण किसी के मले नहीं उतरा और काफी जोड़-तोड़ के बाद इसका अंग्रेजी अनुवाद हो सका जिसे हमने कुछ इस तरह व्यक्त किया- 'An auspicious article of Digambar Jain saints made of pecock-feathers which are turned down naturally while dancing of a pecock' इसी तरह एक 'कमंडलु' शब्द का अंग्रेजी अनुवाद सु. श्री मोतीसागर जी की विशेष सलाह से कुछ इस तरह व्यक्त करने की कोशिश की गयीSpecial wooden water container with nozzle used by Digambar Jain ascaties. It is specially made by the use of African coconut.इसी तरह कई स्थानों पर हिन्दी विवेचन में गणिका शब्द देवी के रूप में प्रयुक्त पाया गया तब गलत (वेश्या) अर्थ से बचने के लिए इस शब्द को ही हटाने का निर्णय किया गया। इसी तरह दिव्यध्वनि, विद्याधर, गति, विमान, बिल, हृद, वापी आदि कई शब्दों का अंग्रेजी रूपान्तरण एवं करणानुयोग, न्याय आदि विषयक शब्दों को परिभाषित करना काफी रोचक रहा और ऐसे हर शब्द की परिभाषाओं की उचित संरचना और संयोजन होने पर एक विशेष आल्हाद की अनुभूति होती थी। ऐसे शब्दकोश की जिस तीर्थ त्रिवेणीरूपी धरती पर अर्थात् जहाँ भगवान महावीर ने जन्म लिया (कुण्डलपुर), जहाँ प्रथम दिव्यध्वनि खिरी (राजगृही) एवं जहाँ से भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया (पावापुरी) ऐसे दिव्य तीर्थों पर बैठकर भगवान महावीर जैन शब्दकोश की याचना का निमित्त प्राप्त होना अपने आप में यह अभिप्राय रखता है कि इस शब्दकोश में प्रामाणिक रूप से संपूर्ण जैन वाड्.मय का सार निहित है। भगवान महावीर के ही सारे भुत को भगवान महावीर से ही संबंधित दिय्य धरती पर बैठकर भगवान महावीर के ही शासनकाल की शिष्या जिन्होंने संपूर्ण श्रुत पर ऐतिहासिक लेखन किया हो, गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के सानिध्य में भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी जैन शब्दकोश की वाचना करना ऐसा शुभ संयोग अपने आप में मुझे इस कार्य की सफलता के प्रति विश्वस्त करता है।।
अपने आप में एक बड़ी जिम्मेदारी वाले इस कार्य से जुड़े प्रत्येक सदस्य ने अपना विशेष सहयोग प्रदान कर इस कार्य को सफल करने की कोशिश की। ज. रजनी बहन जी का जैनधर्म के क्षेत्र
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