Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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जैन वाड्मय का सार भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी जैन शब्दकोश
भूमिका
पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की विस्तृत दृष्टि देखते | हुए लाता है कि माताजी इस जगत के लिए भगवान का दिया एक ऐसा अमूल्य उपहार हैं जिनकी प्रेरणा, मार्गदर्शन और आशीर्वादरूप उपकार
सिर्फ जैन समाज अपितु समस्त जन समाज द्वारा सदियों तक याद किया जाता रहेगा। माताजी का व्यक्तित्व एक ऐसा अनोखा व्यक्तित्व है जिसकी बहुआयामी प्रतिभा का प्रभाव संपूर्ण धरा पर देश, धर्म और
समाज के संरक्षण एवं कल्याण के लिए हितकर साबित हुआ है। जहाँ माताजी के नाम से ज्ञान की सार्थकता नजर आती है वहीं उनकी कृलियाँ इस सार्थकता को सिद्ध करती हुई नजर आती हैं । माताजी का वृहद दृष्टिकोण देखते ही बनता है, एक या दो नहीं अपितु दो सौ से अधिक ग्रंथों का लेखनन कार्य करना कोई सहज सी बात नहीं है। नाताजी ने अपन जीवन में रत्नत्रय साधना के द्वारा जो अर्जित किया, उन्होंने लोगों की जागरूकता के लिए, समाज को सही मार्ग दिखाने के लिए और सच्चे आगम का बोध कराने के लिए अपने ही करकमलों से 250 ग्रंथों में संपूर्ण जैन वाड्.मय का ऐतिहासिक सार अंकित कर दिया जो आने वाले हजारों वर्षों तक जन-जन को सही दिशा और सही मार्ग की ओर इंगित करता रहेगा एवं जिसे पढ़कर देश, धर्म और काल की विपरीत स्थितियों में भी सच्चे आगम का झान प्राप्त कर प्राणीमात्र अपने जीवन का उद्धार कर सकेगा, ये ज्ञानमती माताजी के विस्तृत दृष्टिकोण का परिचायक है।
इसी श्रृंखला में उन्हीं की शिष्या प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने भी अपने गहरे चिंतन का परिचय देते हुए इस बात की चिंता व्यक्त की कि वर्तमान की इन बदलती परिस्थितियों में, बदलते परिवेश में और इन बदलती विचारधाराओं में जहाँ कि नव पीढ़ी के पास दैनिक कर्तव्य से अतिरिक्त धर्म और आगम के नाम पर समय को उपलब्धता का अभाव रहने लगा है, ऐसे समय में हमारे शास्त्र और अगम में निहित गूढ अर्थ, क्लिष्ट परिभाषाएं और सूत्र यदि समाज को अपनी ओर आकर्षित न कर अपनी क्लिष्टता के कारण लोगों की रुचि से परे होते जायेंगे तो एक दिन ऐसा भी हो सकता है कि हमारा आगम एक दृष्टि में अर्थ की अनुपलब्धता के कारण अरुचिकर साबित होता नजर आयेगा और जिसके परिणाम स्वरूप हमारा समाज दिशाविहीन भी हो सकता है। आर्यिका श्री चन्दनामती माताजी का कहना है कि शास्त्रीय ज्ञान में और परंपराओं में पारंगत गणिनी ज्ञानमती माताजी जैसे साधुओं का अस्तित्व आज तो इस समाज को देखने को मिल सकता है लेकिन इस तरह के महान ज्ञानी संतों का समागम हमेशा समाज को मिलता ही रहेगा, इस बात की कोई निश्चितता नहीं है। धर्म क्षेत्रों में दिशावरुद्ध होती परिस्थितियों
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