Book Title: Bhagavana Mahavira Hindi English Jain Shabdakosha
Author(s): Chandanamati Mata
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan
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मेरा अनुभव
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लौकिक शिक्षा प्राप्त करते समय प्रारंभ से ही 'डिक्शनरी का प्रयोग प्रत्येक छात्र-छात्रा के लिए प्राय: अवश्यंभावी होता ही है, विशेष रूप से अंग्रेजी के अध्ययन के लिए । मेरा विद्यार्थी जीवन भी इसका अपवाद नहीं था। पर, आत्म-शिक्षा के क्षेत्र में आने का सौभाग्य प्राप्त होने के उपरांत भी पुन: Dictionary-consultation के स्थान पर स्वयं किसी 'शब्दकोश' के निर्माण का साक्षी बनने का अवसर प्राप्त होगा, ऐसी कल्पना हृदय में कहीं भी नहीं थी।
वस्तुत: कर्मठ परिश्रम ही जिनके जीवन के हर क्षण का एकमात्र सत्य है, ऐसी भारतवर्ष की महान संस्कृति की वर्तमान साकार प्रतिरूपा-परमपूज्य गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमत्ती माताजी जैसी गुरु के चरणों वर्ग प्राप्त करने का ही यह सुफल है कि जिनधर्म प्रभावना के ऐसे ऐतिहासिक कार्यों को अपनी आँखों से देखने य जनसे जुड़ने का सुअवसर प्राप्त हो जाता है। ___ 'भगवान महावीर हिन्दी-अंग्रेजी जैन शब्दकोश' के संदर्भ में सर्वप्रथम तपस्थली तीर्थप्रयाग में पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी को डॉ. अनुपम जैन एवं श्री जीवन प्रकाश जैन (इंदौर) के साथ चर्चा करते देखती थी, पुन: कुण्डलपुर (नालंदा) आने पर जब पूज्य माताजी ने मुझे भी इसकी वाचना में सम्मिलित होने का वात्सल्यपूर्ण आदेश दिया, तो वृदय में प्रसन्नता एवं भय की समन्वित धारा प्रवाहित हुई, कारण था कि कहाँ महान जैनधर्म के अगाध सिद्धांतों को स्वयं में सभेटने वाला यह कोश और कहाँ मेरी नितांत अल्पज्ञता ! परन्तु फिर भी गुरुजनों का अनुग्रह एवं दूरदर्शिता अद्भुत ही होती है। पूज्य बडी माताजी एवं पूज्य छोटी माताजी के मुखारविन्द से जिनधर्म के मूलभूत सिद्धान्तों को सुनने-समझने का अवसर, उनके जीवन के अनुभवों से साक्षात्कार का अवसर और सबसे बदकर उनका निकट साहचर्य मेरे अपने लिए अविस्मरणीय हो गया है । पूज्य ज्ञानमती माताजी की अगाध ज्ञानराशि एवं पूज्य श्री चंदनामती माताजी का अपूर्व समर्पित परिश्रम ही इस कोश को वर्तमान प्रामाणिक रूप देने में सक्षम हो पाये हैं, यह तथ्य पूर्णतया सुनिश्चित है। मुझको भी इस कार्य में सहभागी बनने का सौपाय्य देकर पूज्य माताजी ने मुझ पर अप्रतिम उपकार किया है।
इस शब्दकोश के निर्माण में श्री जीवन प्रकाश जैन द्वारा किया गया परिश्रम वास्तव में प्रशंसनीय एवं आज के युवायर्ग के लिए अनुकरणीय है । 'बड़ी बहन के रूप में अपने प्रति उनकी सम्मान भावना का मैं सदैव आदर करती हूँ तथा उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए मंगल कामना करती हूँ। श्री कोमलचंद जी जैन (इंदौर) का सरल व्यक्तित्व एवं संघस्थ ब्रह्मचारिणी बहनों का सहयोग भी इस शब्दकोश की यादों से सदैव जुड़ा रहेगा।
पुन: पुन: गुरुचरणों में इसी प्रकार के ज्ञानार्जन का लाभ प्राप्त होता रहे, इसी मंगल भावना के साथ, दिनांक : 16-7-2004
ज.(कु.) स्वाति जैन
M.Sc. (Bloscloncos) [49]