Book Title: Ashtmangal Aishwarya
Author(s): Jaysundarsuri, Saumyaratnavijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 6
________________ उपरोक्त प्रस्ताव के अनुसार समग्र भारत के समग्र तपागच्छीय श्री संघो में साधारण द्रव्य की वृद्धि के संदर्भ में पर्युषण पर्व के महान पवित्र दिनों में अष्टमंगल दर्शन की उछामणी/बोली का शुभारंभ हो रहा है, ऐसे पुण्यावसर पर अष्टमंगल के माहात्म्य का परिचय श्री संघ को कराने के लिए प.पू.श्री प्रेमभुवनभानुसूरीश्वरजी समुदाय के प.पू.प्राचीन श्रुतोद्धारक आ.भ.श्री हेमचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा के शिष्यरत्न प.पू. वर्धमानतपोनिधि आ.भ. श्री कल्याणबोधिसूरीश्वरजी महाराजाके शिष्य पू. मुनिराज श्री सौम्यरत्नविजयजी ने उपलब्ध प्राचीन स्व-पर धर्मशास्त्रों के उद्धरणों तथा संशोधनात्मक लेखों और प्राचीन-अर्वाचीन शिल्पकला के संदर्भ में अष्टमंगल माहात्म्य नाम का ग्रंथ तैयार किया है। प्रस्तुत पुस्तिका, वे सुविस्तृत ग्रंथ का लोकोपयोगी सरल भाषा में सारसंग्रह है। ___ श्रमण संमेलनके उपरोक्त प्रस्ताव में सर्वसाधारण द्रव्यकी वृद्धि के कर्तव्य संदर्भ में अष्टमंगलके चढ़ावे उपरांत अन्य भी शक्य उपाय अमली करने के लिये सूचन किया है। अतः 'सर्व साधारण द्रव्य वृद्धिस्थान मार्गदर्शन' स्वरुप अन्य केचित् उपाय भी पुस्तिका के अंत में दर्शायें है। आशा है कि सकल श्रीसंघको वे सविशेष उपयोगी होंगे। अवसरोचित अष्टमंगल परिचायक पुस्तिका आलेखक पू. मुनिराजश्री तथा प्रकाशन लाभार्थी गुरुभक्त परिवार प्रति सहृदय आभार. प्रस्तुत द्वितीयावृत्ति में मुनिश्री ने सविशेष उपयोगी सुधार किया है, जो भी आवकार्य है। हमारे ट्रस्टके सबल और सक्षम प्रेरणास्रोत पूज्यपाद प्राचीन श्रुतोद्धारक आ.भ.श्रीमद्विजय हेमचंद्रसूरीश्वरजी महाराजाकी पुण्यप्रेरणाके पियूषपान से प्रस्तुत पुनित प्रकाशन द्वारा श्री संघभक्ति में यत्किंचित् निमित्त बनते जीवनकी धन्यता और सुकृतकी सार्थकता का अनुभव होता है। लि. श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट की और से, श्री चंद्रकुमारभाई जरीवाला श्री पुंडरिकभाई शाह श्री ललितभाई कोठारी श्री वनोदचंद्र कोठारी Cooloo

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